Thursday, May 15, 2025
Homeराजनीतिअशोक गहलोत सरकार को अवमानना याचिका पर HC का नोटिस: 6 हफ्ते में माँगा...

अशोक गहलोत सरकार को अवमानना याचिका पर HC का नोटिस: 6 हफ्ते में माँगा जवाब

हाई कोर्ट का यह फैसला मिलापचंद डांडिया द्वारा दायर याचिका पर आया था। जिसमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला, कार, ड्राइवर, टेलीफोन सेवाएँ और 10 कर्मचारी वाले स्टाफ जैसी सुविधा जिंदगी भर के लिए देने वाले कानून को चुनौती दी गई थी।

राजस्थान हाई कोर्ट ने सोमवार (नवंबर 18, 2019) को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ दाखिल एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है। यह नोटिस अशोक गहलोत एवं मुख्य सचिव डीबी गुप्ता को जारी किया गया है। राजस्थान हाईकोर्ट के 2 जजों की बेंच ने नोटिस का जवाब देने के लिए अशोक गहलोत सरकार को 6 हफ्ते का वक्त दिया है।

दरअसल यह नोटिस 88 वर्षीय याचिकाकर्ता मिलाप चंद डांडिया की याचिका पर दिया गया है। अवमानना याचिका दायर करने वाले मिलाप चंद डांडिया का कहना है कि उन्होंने अवमानना याचिका इसलिए दायर की क्योंकि राजस्थान सरकार ने मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र का जवाब नहीं दिया। उनका कहना है कि उन्होंने अदालत के आदेश को लागू करने की माँग की थी।

मिलाप चंद डांडिया का आरोप है कि हाईकोर्ट का आदेश आने के 2 महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी गहलोत सरकार ने कोर्ट के फैसले को इंप्लीमेंट नहीं किया है। याचिका में गहलोत सरकार के ऊपर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने राजस्थान हाई कोर्ट के उस फैसले को क्रियान्वित नहीं किया, जिसके तहत कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी खर्चे पर आजीवन सुविधाएँ नहीं उठा सकेंगे। कोर्ट के इस आदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन मिलने वाली कुछ सुविधाओं में कटौती की बात कही गई थी।

बता दें कि राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से दिए गए एक बड़े फैसले के तहत इसी साल के 4 सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा ली जा रही आजीवन सुविधाओं पर रोक लगा दी गई थी। जस्टिस प्रकाश गुप्ता द्वारा 4 सितंबर को दिए गए फैसले के तहत राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम 2017 को अवैध घोषित कर दिया गया था।

हाई कोर्ट का यह फैसला मिलापचंद डांडिया द्वारा दायर याचिका पर आया था। जिसमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला, कार, ड्राइवर, टेलीफोन सेवाएँ और 10 कर्मचारी वाले स्टाफ जैसी सुविधा जिंदगी भर के लिए देने वाले कानून को चुनौती दी गई थी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ड्रोन-मिसाइल दाग-दागकर पस्त हो गया पाकिस्तान, पर भारत में इस बार नहीं दिखी युद्ध काल की वह आपाधापी: आर्मी ब्रैट का सैल्यूट स्वीकार करिए...

ऑपरेशन सिंदूर के बाद युद्ध काल के उस 'भय' को खत्म करने के लिए आर्मी ब्रैट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेज रही सैल्यूट।
- विज्ञापन -