Sunday, November 17, 2024

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बलिदानियों को नमन🙏

पूरे शरीर में धँस गए थे गोलियों के छर्रे, बेहोशी में भी कह रहे थे राम-राम: कारसेवक राम बहादुर वर्मा के बेटों ने कहा...

अयोध्या जाते समय राम बहादुर ने अपनी पत्नी से कहा था, "मैं शायद न लौट पाऊँ। बच्चों का ध्यान रखना।" नम आँखों से काली सहाय ने कहा, "मेरे पिता के लिए पत्नी और बच्चों से कहीं अधिक प्रिय प्रभु श्रीराम थे।"

‘माँ मैं जा रहा, शायद अब न लौट पाऊँ’: यही बोल कर निकले अयोध्या, बूढ़े माँ-बाप को नहीं मिली लाश, धर्म प्रचार के लिए...

अयोध्या रामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के दौरान मुलायम पुलिस की गोलियों से बलिदान हुए भगवान सिंह जाट का शव फेंक दिया गया था सरयू नदी में?

अयोध्या में कारसेवकों पर फेंका बम, हवा में कैच कर बचाई सैकड़ों जिंदगी… कहानी राम मंदिर के लिए 19 साल की उम्र में बलिदान...

6 दिसंबर 1992। वह दिन ​जब अयोध्या में विवादित ढाँचा ढहा था। वह दिन जब 19 साल के अविनाश माहेश्वरी राम मंदिर के लिए बलिदान हो गए।

रामजन्मभूमि दर्शन करने जा रहे थे राम अचल गुप्ता, रोका तो रामधुन में रम गए, फिर भी मार दी गोली: बलिदानी के परिवार ने...

मुलायम यादव की सरकार में कारसेवक राम अचल गुप्ता को अयोध्या में जन्मभूमि का दर्शन करवाने के बहाने ले जाकर गोलियों से भून दिया गया था।

न घर आई अस्थियाँ, न अपनों को मिला अंतिम दर्शन: कहानी उस कारसेवक की जो राम मंदिर के लिए दूधमुँही बेटियों को छोड़कर गए...

संजय कुमार सिंह 2 नवंबर 1990 को अयोध्या में बलिदान हुए थे। मुलायम सिंह की सरकार की तरफ से आए आदेश में कारसेवकों को गोली मार दी गई थी।

कारसेवकों संग आए अयोध्या, पुलिस ने पहले मारी गोली फिर जबरन जलवाया शव: रामलला के बलिदानी ‘पोस्टमैन’ को जानते हैं आप?

अयोध्या में सन 1990 के बलिदानी कारसेवक रमेश चंद्र मिश्रा की विधवा को आधी रात में पति का अंतिम संस्कार करने पर मजबूर किया गया था।

खून से भरा अस्पताल, जमीन पर पड़ी लाश… गौने से पहले ही ‘मुल्ला मुलायम’ की गोली का शिकार हुए थे 16 साल के कारसेवक,...

राजेंद्र धरकार की तीनों भतीजियों में सबसे बड़ी 18 साल की है। उन्होंने हमें बताया कि पैसे न होने की वजह से उनकी पढ़ाई भी बंद हो चुकी है। 1990 में जो हुआ, उसके बाद...

राम भजन गा रहे थे रमेश पांडेय, मुलायम की पुलिस ने सिर में मार दी गोली… 4 बच्चों को लेकर शव के लिए भूखी-प्यासी...

सुरेश ने बताया कि उनके पिता मूल रूप से पड़ोसी जिले गोंडा के रहने वाले थे। अयोध्या में वो कमाने के लिए बसे थे। यहाँ वो एक ईंट-भट्ठे पर मुंशी का काम करते थे।

अयोध्या वालों की इज्जत बचाने को वासुदेव गुप्ता ने दिया बलिदान, पति ने त्यागे प्राण तो पत्नी उतर गईं कारसेवा में: बेटा भी दे...

पैसे और दवाओं के अभाव में बीमारी से मर गए थे अयोध्या रामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलन में बलिदान हुए वासुदेव गुप्ता के परिवार के 3 सदस्य।

अपने रक्त से अयोध्या की सड़क पर लिखा सीताराम, खोपड़ी में मारी 7 गोली… याद रखिएगा रामभक्तों के बलिदान से ही संभव हुआ है...

22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में श्री रामलला सरकार के श्री विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। यह क्षण रामभक्तों के बलिदान से आया है।

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