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बलिदानियों को नमन🙏
जब भी राम मंदिर को देखें, इसे सिर्फ हिंदुओं की आस्था का प्रतीक न मानें। यह प्रतीक है उन बलिदानियों का भी, जिन्होंने अपनी दुधमुँही बच्ची को छोड़ राम नाम के लिए सीने पर गोली खाई। यह प्रतीक है उनका भी, जिनके परिवार वालों को आज तक उनका अंतिम दर्शन न हो सका।
अयोध्या में जब भी राम मंदिर जाएँ, अपने आराध्य रामलला को याद करें… साथ में उनको भी याद करें, जिन्होंने अपना कल न्योछावर कर दिया, आपके आज के हिंदुत्व की गाथा के लिए। यहाँ पढ़ें उन बलिदानियों की कहानियाँ, करें उन्हें नमन!
मुलायम तो अपने घर गए… लेकिन कोठारी बंधु की घर लौटने की वह यात्रा कभी पूरी ही नहीं हुई: ‘धरती पुत्र’ थे जब CM,...
अजीत झा -
मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गाँव सैफई में होना है। लेकिन हीरालाल कोठारी अपने बेटों का शव लेने अयोध्या भी न आ सके थे।
छोटे भाई को घर से खींचा… सिर उड़ा दी… बड़े भाई के गले को पार कर गई गोली: राम मंदिर के लिए बलिदान की...
अजीत झा -
शरद और रामकुमार राम मंदिर आंदोलन की कहानी बन गए थे। उन्होंने मुलायम के दावे "परिंदा भी पर नहीं मार सकता" की हवा निकाल दी। लेकिन 2 नवंबर को...
गोधरा पीड़ितों ने राम मंदिर के भूमि पूजन को बताया बलिदान का फल, कहा- सपना पूरा होता दिख रहा है
आज इस अवसर पर गोधरा कांड में घायल होने वाले लोग भी भावुक हैं। मौत के मुँह से निकले कारसेवकों को आज अपना सपना पूरा होता सामने दिख रहा है।
कारसेवकों का नरसंहार कब, कितने मरे, किसने मरवाया? देश के मीडिया संस्थानों के लेख से सब कुछ गायब
आधी जानकारी ही दबा दी गई है। इसका एक मतलब यह भी है कि मुख्यधारा मीडिया के लिए हिंदुओं की जान का कोई मूल्य ही नहीं है।