चिंता का विषय यह है कि इन लोगों ने उन छात्रों को भी शिक्षित किया जो भविष्य में सैकड़ों लोगों को शिक्षित करेंगे। यह हमारी शिक्षा की स्थिति की एक भयानक तस्वीर को उजागर करता है। इससे यह बात भी स्पष्ट हो जाती है कि वर्तमान सरकार को प्राथमिकता के आधार पर छात्रों को पढ़ाए जाने वाले इतिहास के पाठ्यक्रम में संशोधन की आवश्यकता क्यों है?
पटकथा लेखक सलीम ख़ान के अलावा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति लेफ़्टिनेंट जनरल (रिटायर) जमीरउद्दीन शाह ने अयोध्या फ़ैसले पर आधारित टीवी पर एक चर्चा के कार्यक्रम में कहा था कि मुस्लिमों को दी जाने वाली ज़मीन पर स्कूल या अस्पताल का निर्माण क्यों नहीं कर लेना चाहिए? अयोध्या में पहले से ही पर्याप्त मस्जिदें हैं।
"बाबरी मस्जिद, कानून और न्याय की नजर में एक मस्जिद थी। करीब 400 साल तक मस्जिद थी। शरीयत के हिसाब से वो आज भी मस्जिद है। सत्ता और ताकत के दम पर उसे कोई भी रूप दे दिया जाए कयामत तक वह मस्जिद ही रहेगी।"
प्रशासन ने कहा है कि अफ़वाह फैलाने वाले की सूचना देने वाले का नाम व पता गोपनीय रखा जाएगा। दोषी पाए जाने पर अफ़वाह फैलाने वालों को दंडित किया जाएगा। जनजीवन को सामान्य रखने में ज़िला प्रशासन के सभी अधिकारियों का सहयोग करें।
आदेश में कहा गया है कि सोशल मीडिया में देवी-देवताओं पर कोई भी अपमानजनक टिप्पणी करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा, ज़िला प्रशासन की अनुमति के बिना किसी भी देवता की मूर्ति की स्थापना नहीं होगी।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने पुष्टि की है कि मध्यस्था पैनल के माध्यम से हिन्दू पक्षों के सामने एक समझौते का मसौदा पेश किया गया था। चूँकि, मामला आपराधिक नहीं बल्कि सिविल है इसलिए फैसले की घोषणा से पहले समझौता भी हो सकता है।
"सत्तर सालों से अयोध्या विवाद की वजह से बस राजनीति हो रही है और मुझे उम्मीद है कि अब शहर में कुछ विकास होगा"। आज उनके बेटे इकबाल अंसारी ने कहा कि वह अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए वचनबद्ध हैं।