पाकिस्तान भले ही 100 अरब डॉलर के लोन के साथ कंगाली की ओर बढ़ रहा है लेकिन बलूचिस्तान में उसने चीन को खुली छूट दे रखी है। स्थानीय लोग इसके विरोध में उतर आए हैंपाकिस्तान भले ही 100 अरब डॉलर के लोन के साथ कंगाली की ओर बढ़ रहा है लेकिन बलूचिस्तान में उसने चीन को खुली छूट दे रखी है। स्थानीय लोग परेशान।
महात्मा गाँधी की सलाह को प्रधानमंत्री नेहरू ने अनदेखा किया। शेख ने भी अपनी बात रखने में बहुत वक्त लगा दिया। प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से पहले ही POJK को वापस लेने के लिए भारत सरकार को अपनी नीतियाँ स्पष्ट कर देनी थीं। लेकिन अफसोस यह है कि...
इमरान खान के बयान से साफ झलक रहा है कि वो केवल अमेरिका से अपने भीख के कटोरे में धन प्राप्त करने के लिए ऐसा बोल रहे हैं। हर कोई पाकिस्तान, उसकी सैन्य नेतृत्व और इसकी कठपुतली सरकार की वास्तविकता को जानता है।
उन्होंने इस्लाम के नाम पाकिस्तान का समर्थन किया। जिन्ना पर भरोसा किया। कुरान की कसम खाने वाले सैन्य कमांडर पर यकीन किया। बदले में मिला नरसंहार, जो जारी है 72 साल से। अभिव्यक्ति की आजादी, मानवाधिकारों और मजहब के पैरोकारों के होठ फिर भी सिले।
पाकिस्तान को अपने स्वतन्त्रता दिवस (14 अगस्त) के दिन तब शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब ट्विटर पर बलूचिस्तान के समर्थन में BalochistanSolidarityDay और 14thAugustBlackDay हैशटैग ट्रेंड करने लगा था। इन ट्रेंडों पर तकरीबन क्रमशः 100,000 और 54,000 ट्वीट्स हुए।