जस्टिस दीक्षित ने कहा कि जब हम ब्राह्मण कहते हैं तो यह गर्व की बात होती है, क्योंकि उन्होंने संसार को द्वैत, अद्वैत, विशिष्ट अद्वैत और सुधाअद्वैत जैसे कई सिद्धांत दिए।"
सुनील आम्बेकर ने स्पष्ट कहा कि जातीय जनगणना का इस्तेमाल सिर्फ चुनाव और चुनावी राजनीति के लिए नहीं होना चाहिए। यानी, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
एक तरफ योगेंद्र यादव 'बाबासाहब के सपनों' की बात करते हुए जाति मिटाने की भी बात करते हैं, दूसरी तरफ ये भी चाहते हैं कि हर कोई अपनी जातिगत पहचान आगे करे। दोनों चीजें एक साथ कैसे हो सकती हैं?