वह बंगलौर के आर्मी हॉस्पिटल में बतौर पैरामेडिक कार्यरत था। रिटायर होने के बाद उसने 2 नर्सिंग होम खोले और स्वास्थ्य केंद्र में नौकरी करने लगा। वह आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकार से ₹14 लाख प्राप्त कर चुका है। जानिए कैसे रंगदारी के एक मामले ने खोली फ़र्ज़ी डॉक्टर की पोल!
गुलशन की मौत के बाद नईम अपने परिवार और अन्य लोगों के साथ अस्पताल पहुँचा और हंगामा शुरू कर दिया। कुछ देर बाद भीड़ डॉक्टर को खींचकर सड़क पर ले आई और बुरी तरह पीटने लगी। भीड़ ने डॉक्टर को पुलिस की जीप से भी खींच लिया।
पूर्वी सिंहभूम के सिविल सर्जन ने बताया कि अशरफ को पहले भी इस तरह के आरोपों की वजह से बर्खास्त किया गया था। लेकिन, लिखित माफीनामे के बाद उसे बहाल कर लिया गया था। वहीं, अशरफ ने इसे साजिश बताते हुए बर्खास्तगी को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है।