सारी सभा में हलचल मच गई। रौद्र रूप धरे गुरु गोविन्द सिंह की इस माँग के बाद जो लोग आए, उन्होंने न सिर्फ़ अपनी बहादुरी से देश को गौरवान्वित किया बल्कि जाति-पाती के बंधनों को तोड़ने में भी अहम भूमिका निभाई। एक व्यक्ति आगे आया। गुरु गोविन्द सिंह उसे तम्बू में ले गए और खचाक...!
'गुरु गोबिंद सिंह एक महान योद्धा, दार्शनिक, कवि और गुरु थे। उन्होंने अत्याचार और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उनकी शिक्षा हमेशा धर्म और जाति की बेड़ियों को तोड़ने के लिए रही'