सियाचिन ग्लेशियर में सेना के टेंटों में लगी आग से साथी जवानों को बचाने के लिए कैप्टन अंशुमन सिंह बलिदान हो गए थे। उन्हीं की पत्नी पर अमजद ने अभद्र टिप्पणी की।
अँधेरी रात में दृश्यता न के बराबर थी। मुठभेड़ स्थल भी गाँव के बाहरी हिस्से में था जहाँ से जंगल शुरू होता था। घने पेड़ों के बीच एक घर में आतंकी छिपे हुए थे।
परिवार को 48 लाख रुपए बीमा का मिलता है, 44 लाख रुपए की अनुग्रह राशि दी जाती है, 8 लाख रुपए 'सशस्त्र बल युद्ध हताहत कोष' से, 'सेवा निधि' से 11.71 लाख रुपए और 40,000 रुपए से लेकर 17 लाख तक की धनराशि बचे हुए कार्यकाल के कुल वेतन के हिसाब से मिलती है।