साल 2019 में जिस जामिया में सीएए-एनआरसी के विरोध के नाम पर हिंसा को अंजाम दिया गया था, वहाँ के छात्रों ने एक बार अपने परिसर में 'ला इलाहा इल्ललाह' की नारेबाजी की।
वीडियोज को देखने के बाद आम लोग माँग करने लगे हैं कि अगर सरकार द्वारा दिए फंड से चल रहे संस्थान में यही सब होना है तो इस संस्थान को ही बंद कर दिया जाना चाहिए।
'कॉल फॉर जस्टिस' की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट से पता चलता है कि जामिया मिलिया इस्लामिया में गैर-मुस्लिमों के साथ न केवल भेदभाव हुआ बल्कि उन्हें धर्मांतरण के लिए उकसाया भी गया।
दिल्ली, गाजियाबाद, दरभंगा, बाड़मेर, वडोदरा सहित कई जगहों पर हिंदू घृणा का प्रदर्शन हुआ। कहीं शोभा यात्रा पर पथराव हुआ तो कहीं बाबरी के समर्थन में नारे लगे।
हरियाणा के मेवात के नूहं में हिंदुओं की ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा पर मुस्लिम भीड़ के हमले के एक सप्ताह बाद ही, घटना की वास्तविकता को बदलने की कोशिश की जा रही है।