ऑपइंडिया से बात करते हुए अधिवक्ता शशांक शेखर झा ने पूछा कि पुलिस ने FIR में 304 की जगह कमजोर धारा 304A क्यों लगाई? उन्होंने कहा कि इस मामले में गलत संदेश गया है, अगर भीड़ ने न्याय व्यवस्था पर भरोसा करने की बजाए खुद हिंसा करना शुरू कर दिया तो ये ठीक नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कि Cis-जेंडर (जो अपना जेंडर वही मानते हैं जो उनके जन्म के समय था) ही नहीं बल्कि ट्रांसजेंडर (समलैंगिक) पुरुष और नॉन-बाइनरी (महिला-पुरुष के अलावा अन्य) लोग भी गर्भवती हो सकते हैं।
"5 दशक पहले ही उन्होंने 'प्रतिबद्ध न्यायपालिका' की बात की थी - वो बेशर्मी से दूसरों से तो प्रतिबद्धता चाहते हैं लेकिन खुद राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं।"