महिलाओं का दावा है कि ज्ञानवापी में 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रॉविजंस) एक्ट, 1991' लागू नहीं होता, क्योंकि 1991 तक यहाँ श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी।
कहा जाता है कि जब औरंगजेब की फ़ौज ने काशी के केदार मंदिर में नंदी की प्रतिमा को तोड़ा तो उसके गर्दन से खून टपकने लगा। मुग़ल वहाँ से डर के मारे भाग खड़े हुए।
अकबर के काल में राल्फ फीच नामक एक अंग्रेज यात्री ने अपने संस्मरण एक पवित्र 'वापी' (कुएँ) का उल्लेख किया है। अकबर ने काशी विश्वनाथ मंदिर बनवाया - ये झूठ है।
ज्ञानवापी केस में हिन्दू पक्ष द्वारा काशी विश्वनाथ के आगे कान पकड़ कर महादेव से 300 साल तक उनकी पूजा न कर पाने के लिए माँगी गई माफ़ी। पूजा के लिए कोर्ट में याचिका।