जावेद अख्तर जो माँग कर रहे हैं, यह पहले पहले भी होती आई है। देश के लोगों को इनपर ध्यान नहीं देना चाहिए। इससे किसी को कोई ऐतराज और परहेज नहीं होना चाहिए।
दिल्ली के मदरसों में छात्रों को कमरों में भेंड़-बकरियों की तरह रखा जा रहा है। मदरसा के शिक्षकों ने बताया कि वे छात्रों को छिपा के रखते हैं, ताकि पुलिस उन्हें लेकर नहीं जाए। उन्होंने कुछ पुलिसकर्मियों को घूस तक देने का दावा किया था।
जहाँ मरकज बना हुआ है, वहाँ पहले एक छोटा सा मदरसा होता था। मदरसा भी नाममात्र जगह में ही था। यहाँ क्षेत्र के ही कुछ लोग नमाज पढ़ने आते थे। लेकिन 1992 में मदरसे को तोड़कर बिल्डिंग बना दी गई।
कोरोना के प्रकोप को देखते हुए 18 मार्च को ही छुट्टी कर दी गई थी। बावजूद इसके छात्राओं को जाने नहीं दिया गया। एक बच्ची ने जब अपने परिजनों को इस संबंध में सूचना दी तब पुलिस ने कार्रवाई कर उन्हें मुक्त कराया।