Tuesday, June 17, 2025
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मजहब के कोरोना मरीजों को क्वारंटाइन करने से पहले सरकार को मौलवियों से सलाह लेनी चाहिए: महाराष्ट्र में मदरसा सचिव की माँग

महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में कोरोना संबंधित केस दर्ज किए गए हैं, ऐसे में अजीज खान ने अनुरोध किया है कि समुदाय के लोगों को आइसोलेट करने से पहले मौलवियों से परामर्श लेना चाहिए, विशेषकर सतरंजीपुरा और मोमिनपुरा के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में.......

पूरे देश में कोरोना का कहर जारी है और इससे सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है- महाराष्ट्र। महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस बीच नागपुर के मदरसे जामिया अरेबिया इस्लामिया के सचिव मोहम्मद अब्दुल अजीज खान ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और स्पीकर नाना पटोले को एक पत्र लिखा है।

इस पत्र में समुदाय विशेष के किसी भी व्यक्ति को कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका पर क्वारंटाइन करने से पहले मौलवियों से सलाह-मशविरा करने के लिए कहा गया है।

ऐसे में जब नागपुर में बड़ी संख्या में कोरोना संबंधित केस दर्ज किए गए हैं, अजीज खान ने अनुरोध किया है कि समुदाय के लोगों को आइसोलेट करने से पहले मौलवियों से परामर्श लेना चाहिए, विशेषकर सतरंजीपुरा और मोमिनपुरा के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में।

पत्र में आगे कहा गया है कि पूरे क्षेत्र को बंद करने के बजाय स्व-संगरोध की वकालत की जानी चाहिए। जामिया अरेबिया इस्लामिया के सचिव ने कहा कि सरकार को इस संबंध में कोई कार्रवाई करने से पहले मौलवियों के विचारों पर ध्यान देना चाहिए।

खान ने लिखा कि मजहब के कोरोना वायरस रोगियों को क्वारंटाइन करने से पहले, कुछ मजहबी NGO और धार्मिक नेताओं से परामर्श किया जाना चाहिए। साथ ही उनके विचारों पर ध्यान दिया जाना चाहिए और उनके विश्वास के साथ प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

उन्होंने महाराष्ट्र के सीएम को लिखे पत्र में यह भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा रमजान के महीने में उपवास रखने वालों को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं किए गए हैं और उन्हें इस मामले पर कदम उठाने के लिए कहा है।

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में COVID-19 से संबंधित मौतों में से 44 प्रतिशत मौतें समुदाय विशेष के बीच दर्ज की गई हैं, जबकि राज्य की कुल जनसंख्या में से केवल 12 फीसदी समुदाय विशेष से हैं। इसके बावजूद मौलवी का इस तरह से अनुरोध करना काफी धृष्टता भरा है।

गौरतलब है कि इससे पहले भी मुंबई के भिवंडी इलाके में मजहबी धर्मगुरु मुफ्ती हुजैफा कासमी ने महाराष्ट्र पुलिस से अपील की थी कि लॉकडाउन के दौरान अगर कोई इमाम, हाफिज रोड पर जाते हुए मिलता है तो बेवजह उस पर हाथ ना उठाएँ। पहले उसकी पहचान करें, क्योंकि रमजान महीने में अगर किसी मौलवी, हाफिज या इमाम पर पुलिस वाले हाथ उठाते हैं तो माहौल बिगड़ सकता है।

इसके साथ ही महाराष्ट्र पुलिस से यह भी अपील की गई थी कि इमाम, हाफिज जैसे लोगों के लिए जो मस्जिदों में जाकर रमजान के महीने में नमाज पढ़ने का काम करेंगे उनके लिए एक पहचान पत्र पुलिस की तरफ से बनाया जाए, ताकि वह सड़कों पर जा सकें और अगर पुलिस उन्हें रोकती है तो वह अपनी पहचान बता सकें।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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