रायगढ़ पुलिस ने ट्रक ड्राइवर राजेश पांडुरंग द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर अभिनेत्री शबाना आज़मी के कार ड्राइवर अमलेश कामत के ख़िलाफ़ कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। राजेश के मुताबिक़, गाड़ी की रफ़्तार अधिक होने के कारण ही ट्रक में कार जा घुसी।
सोहेल ने बताया कि हत्या के बाद शव ठिकाने लगाने का उसे कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। फिर क्राइम आधारित टीवी शो देख उसे शव को टुकड़े-टुकड़े कर फेंकने का विचार आया। अम्मी की लाश के उसने टुकड़े किए और उन्हें अलग-अलग स्थानों पर फेंक दिया।
गीतकार और लेखक जावेद अख़्तर की पत्नी और अभिनेत्री शबाना आज़मी सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गई हैं। पुणे-मुंबई एक्सप्रेस पर उनकी कार ट्रक से टकरा गई। इसके बाद उन्हें गंभीर अवस्था में एमजीएम हॉस्पिटल पनवेल में भर्ती कराया गया।
परोल पर बाहर निकलने के बाद जलीस मुंबई अपने घर आया था। लेकिन, परोल खत्म होने से ठीक पहले वह गायब हो गया। उसके बेटे ने पुलिस को बताया था कि वह नमाज पढ़ने की बात कह घर से निकला था, लेकिन वापस नहीं लौटा।
उम्र कैद की सजा काट रहा जलीस बम बनाने में माहिर है। वह सिमी और इंडियन मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़ा था और उन्हें बम बनाना सिखाता था। वह देश भर के कई बम धमाकों में आरोपित है।
कॉन्ग्रेस नेता विक्रांत चव्हाण। विवादों से पुराना नाता। 2015 में एक बिल्डर को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपित। कुछ समय जेल में। इसके बाद 3 पार्षदों, नेताओं और बिल्डरों का नेक्सस बनाने का आरोपित। अघोषित संपत्ति के कारण इनके घर पर पड़ चुकी है रेड। लेकिन कॉन्ग्रेस ने फिर भी टिकट दिया।
मुंबई के प्रोफेसर ने दिसंबर के महीने में कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी को लेकर फेसबुक पर एक आपत्तिजनक पोस्ट लिखा था। जिसके बाद उन्हें अनिवार्य 'छुट्टी' पर भेज दिया गया।
आरोपित अजमल ने चाची-भतीजी से जान-पहचान करने के लिए छद्म हिन्दू नाम का सहारा लिया। उसने उन दोनों को अपना नाम आशीष दुबे बताया। उसने शादी का झाँसा देकर महिला के साथ बलात्कार किया और उसे फ़िल्मा लिया। इसी रिकॉर्डिंग का खौफ दिखा कर भतीजी के साथ भी...
अक्षय प्रीतमदास भाटिया, मनीष आडवाणी... जैसे कई नामों के सहारे एजाज करीब 22 साल तक पुलिस और खुफिया एजेंसियों की आँख में धूल झोंकता रहा। इस दौरान उसने नाम ही नहीं बदले। रूप-रंग और जीवनशैली भी नाम के अनुसार बदली।
पिछले कुछ सालों में बिहार से कई आतंकी पकड़े गए हैं। बीते साल ही गया से जमात आतंकी दबोचा गया था। इतनी गिरफ़्तारियों से यह सवाल उठने लगा है कि आतंकियों के लिए बिहार सेफ़-ज़ोन तो नहीं बनता जा रहा?