"यह देखकर दुखी हूँ कि मेरे पुराने सहयोगी सचिन पायलट को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दरकिनार कर दिया गया। यह दिखाता है कि कॉन्ग्रेस में प्रतिभा और क्षमता पर कम ही भरोसा किया जाता है।"
ऐसा नहीं है कि गहलोत और पायलट में अचानक से दूरियॉं बढ़ी है। सरकार गठन के बाद से ही पायलट की उपेक्षा की जा रही है। आरटीआई से सामने आई एक जानकारी से भी इसकी पुष्टि होती है। इसके मुताबिक 25 करोड़ के 62 विज्ञापन दिए गए। इसमें सिर्फ और सिर्फ गहलोत ही नजर आए।
गहलोत ने कहा था कि राजस्थान में किसी बच्चे की मौत पर उसके घर जाकर पीड़ित परिजनों से मिलने की परंपरा नहीं रही है। इसका जवाब देते हुए पायलट ने कहा है कि अगर ऐसी परंपरा नहीं रही है, तो ये परंपरा डालनी चाहिए।
पायलट का ये बयान उस समय आया है जब विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया एक दिन पहले ही उनकी सरकार द्वारा कानून व्यवस्था को लेकर बनाई खराब नीतियों और राज्य भर में हो रही घटनाओं पर उन्हें घेर चुके हैं।
सुसाइड नोट में सोहनलाल ने लिखा, "मैं आज अपनी जीवन लीला समाप्त करने जा रहा हूँ। इसमें किसी का कोई दोष नहीं है। इस मौत के जिम्मेदार गहलोत व सचिन पायलट हैं। उन्होंने बकायदा बयान दिया था कि हमारी सरकार आई तो 10 दिन में आप का कर्ज माफ कर देंगे। अब इनके वादे का क्या हुआ। सभी किसान भाइयों से विनती है कि मेरी लाश तब तक मत उठाना जब तक सभी किसानों का कर्ज माफ ना हो।
गहलोत को अपनी कुर्सी जाने का भय सता रहा है। इसलिए वो पिछले 3 दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और लगातार कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। जबकि पायलट इन दिनों राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में घूम रहे हैं। किसानों के बीच खुले आसमान में खाट पर बैठकर...
अशोक गहलोत ने कहा, "यदि जीतने पर श्रेय लेने के लिए सभी लोग आगे आ जाते हैं तो हारने पर भी ज़िम्मेदारी सामूहिक होनी चाहिए। ये चुनाव किसी एक व्यक्ति नहीं, बल्कि सामूहिक नेतृत्व में संपन्न हुआ है।"