ये वीडियो कोयम्बटूर में गिरफ़्तार किए गए खूँखार आतंकी संगठन आईएसआईएस के गुर्गों के पास से ज़ब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से प्राप्त किए गए थे। एनआईए ने देश के कई हिस्सों में छापा मारकर आतंकियों द्वारा हिन्दू संगठन के नेताओं को मारे जाने की साज़िश का ख़ुलासा किया था।
वह दूसरे मज़हबों ही नहीं, उदारवादी मुसलामानों और सूफ़ियों को भी अपशब्द कहता था - उसके लिए सूफ़ी नशेड़ी थे। इस्लामिक पढ़ाई में उसकी रुचि इतनी ज्यादा थी कि उसने केवल कुरान रटने के लिए अरबी का कोर्स किया और 2006 में एक इस्लामिक अध्ययन केंद्र खोल डाला था।
कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मामले की पुष्टि की और साथ ही ये भी बताया कि एसटीएफ ने पश्चिम बंगाल की सीमा के आस-पास के सभी क्षेत्रों में संदिग्ध गतिविधियों की निगरानी शुरू कर दी है।
अपने देश में सुन्नी समुदाय से उत्पीड़न का सामना करते हुए, अहमदिया सम्प्रदाय के शरणार्थी पाँच साल पहले पाकिस्तान से भागकर यहाँ आए थे। इन शरणार्थियों को यहाँ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की मदद से बसाया गया है।
सोशल मीडिया पर लगातार फेक न्यूज़ चलाए जा रहे हैं कि इसमें बौद्धों का हाथ है। जबकि श्री लंका की सरकार इस मामले के पीछे नेशनल तौहीद जमात का हाथ देख रही है और खूँखार इस्लामिक आतंकी संगठन ISIS द्वारा इस हमले की ज़िम्मेदारी भी ले ली गई है।
यूएनपी सांसद आशु मारासिंघे ने कहा, “राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए श्रीलंका में बुर्के पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक निजी सदस्य विधेयक लाने की योजना बना रहे हैं।”
IS की प्रोपेगैंडा एजेंसी AMAQ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "श्री लंका में ईसाईयों और अमेरिका के समर्थक देशों के नागरिकों को जिन्होंने मारा है, वो इस्लामिक स्टेट के लड़ाके हैं।"