"हम वादा करते हैं। 24 फरवरी को जब डोनाल्ड ट्रम्प भारत आएँगे तो हम उनको बताएँगे कि हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री और यहाँ की सरकार देश को बाँटने का काम कर रही है । हम उन्हें बताएँगे कि हिंदुस्तान की जनता यहाँ की सरकार के ख़िलाफ़ लड़ रही है।"
भाजपा को धोखा देने के बाद शिवसेना से जनता ने उम्मीद की थी कि वे पार्टी की मूल विचारधारा यानी 'हिदुत्व' के साथ बेईमानी न करें। लेकिन अब आदित्य ठाकरे के ऐसे समारोह में शामिल होने की खबर देखकर लग रहा है कि शिवसेना अपनी मूल विचारधारा पर भी पानी फेरने को तैयार है।
1200 पन्नों की चार्जशीट में इस बात का ज़िक्र है कि 2016 में हुई यह घटना सोची-समझी साज़िश और पूरी प्लानिंग के साथ हुई थी। पुलिस ने इस मामले से जुड़े 90 गवाहों को साक्ष्य के तौर पर रखा है
हालाँकि छद्म-लिबरलों और वामपंथी मीडिया गिरोह ने इसे 'डिस्सेंट', यानि 'असहमति की अभिव्यक्ति' बताते हुए सरकार को घेर लिया कि 'फ़्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन' या 'अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का हनन किया जा रहा है।