महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी का न्यूनतम साझा कार्यक्रम आ गया है। इसमें मौजूद एक प्रावधान स्तब्ध कर देने वाला है। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में स्थानीय लोगों के लिए महाराष्ट्र की 80 प्रतिशत नौकरियों को आरक्षित करने के लिए कानून बनाने की बात कही गई है। 4 पन्नों के दस्तावेज़ में...
भाजपा को गच्चा देने के बाद अजित पवार अपनी पार्टी में लौट भी गए हैं और ससम्मान स्वीकार भी हो गए हैं। मौजूदा खबरों में भी उनके डिप्टी सीएम बनाए जाने की बात सामने आ रही है।
उद्धव ने इस दौरान आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए कहा कि शिवसेना क्या चीज है, अब पता चलेगा। उन्होंने एनसीपी के साथ गठजोड़ को सही बताते हुए यहाँ तक कह दिया कि उनका गठबंधन अगले 30 सालों तक चलेगा। विधायकों को निष्ठावान रहने की शपथ भी दिलाई गई।
एनसीपी ने उन्हें विधायक दल का नेता पद से तो हटा दिया है लेकिन पार्टी से नहीं निकाला है। जयंत पाटिल, छगन भुजबन और वलसे पाटिल सहित कई नेताओं ने अजित के साथ बैठक कर उन्हें मनाने की कोशिश की। अजित पवार ने क्या जवाब दिया, यहाँ जानिए।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने 154 विधायकों के समर्थन का दावा किया। वहीं, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने बताया कि गवर्नर को 162 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा गया है। संजय राउत 175 का दावा करते रहे हैं।
कॉन्ग्रेस और शिवसेना के भीतर लड़ाई चल रही है। कॉन्ग्रेस का एक खेमा शुरुआत से ही शिवसेना के साथ जाने के हक में नहीं रहा है। पूर्व उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल ने अजित पवार को बताया है कि पार्टी में 30-35 ऐसे विधायक हैं, जो उनकी अनुपस्थिति में असहज महसूस कर रहे हैं। ये आँकड़ा बढ़ भी सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र के सियासी संकट पर सुनवाई के दौरान भाजपा का पक्ष रखते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि चुनाव नतीजे आने के बाद शिवसेना और भाजपा में मतभेद गहरा गए। इसके बाद अजित पवार ने उन्हे समर्थन देने की बात कही थी।
विचारधारा में अंतर न होते हुए भी जब 50-50 के फॉर्मूले पर शिवसेना ने भाजपा से गठबंधन तोड़कर एनसीपी और कॉन्ग्रेस जैसी पार्टियों संग विलय की जो उत्सुकता दिखाई, उसने जनता के सामने उसके सत्तालोलुप चरित्र को सामने लाकर रख दिया। शिवसेना ने हिंदुत्व से समझौता किया।
NCP नेता और महाराष्ट्र के नव नियुक्त उप-मुख्यमंत्री अजित पवार को पार्टी द्वारा मनाने की सारी कोशिशें फेल होती नज़र आ रही हैं। लाख मनाए जाने के बावजूद वो अपने फ़ैसले पर अटल हैं।