"मुझे डर है कि नाज़ी आर्यन श्रेष्ठतावाद जैसी हिन्दू श्रेष्ठतावाद की विचारधारा कश्मीर में ही नहीं रुक जाएगी; इसके चलते पूरे हिंदुस्तान में मुस्लिमों का दमन होगा, और अंत में पाकिस्तान निशाने पर होगा।"
सत्य पाल मलिक ने आरोप लगाया कि अपने साथ प्रतिनिधिमंडल लाकर राहुल गाँधी मामले का राजनीतिकरण कर रहे हैं। यही नहीं, उन्होंने इससे घाटी में उपद्रव फैलने और आम लोगों के लिए दिक्कतें खड़ी होने की आशंका भी जताई।
जब सरकार जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य बनाने की कोशिश कर रही है, तो यह 'एक्टिविस्ट' घाटी की एक नकारात्मक छवि बनाने में लगे हुए हैं। इसीलिए प्रेस क्लब ने उन्हें उन रिपोर्टों की रिलीज़ के लिए ज़मीन देने से मना कर दिया, जिनकी पुष्टि नहीं की जा सकती।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने रहमान मलिक के प्रोपेगंडा गुब्बारे में पिन चुभोते हुए खुलासा किया कि जो वीडियो वह बाँट रहे हैं, वह एक बम धमाके का पुराना वीडियो है। यह पाकिस्तान और उसकी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI की साइबर युद्धनीति का हिस्सा है, जिससे हिंदुस्तान में, और खासकर सुरक्षा बलों में, तनाव भड़का कर शांति भंग किया जा सके।
"ये कश्मीर का मसला आज का है? ये पिछले 5 अगस्त से शुरू हुआ है? ये तो सात दहाईयों से है। तीस साल से क्या हुआ इस पर? मैं सवाल करता हूँ न! क्या ये मसला कोई नया है?"
विशेषज्ञों का मानना है कि चूँकि जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद से हिंसा भड़काने के पाकिस्तान के सभी प्रयास नाकाम हो रहे हैं, इसलिए हताशा में यह कदम उठाया गया है। उसे कोई अंतरराष्ट्रीय समर्थन नहीं मिल रहा, हिंदुस्तान से व्यापारिक रिश्ते तोड़ लेने का खमियाज़ा भी पाकिस्तान को ही अपने यहाँ बेकाबू हो रही महँगाई के रूप में भुगतना पड़ रहा है।