जदयू से निष्कासित किए जाने के बाद पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए प्रशांत किशोर ने नीतीश पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वे अब भी उन्हें पिता समान मानते हैं, लेकिन कोई एक साथ महात्मा गाँधी और नाथूराम गोडसे का समर्थक नहीं हो सकता है।
राजद सुप्रीमो लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप ने इस दौरान भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय को भी निशाने पर लिया। तेज प्रताप ने कहा कि जब से मंगल पांडेय स्वास्थ्य मंत्री बने हैं, तब से सबकुछ अमंगल ही हो रहा है, इसीलिए वो 'अमंगल' पांडेय हैं।
नीतीश ने अब बागियों को अल्टीमेटम दे दिया है। मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा कि कुछ लोगों के बयान के आधार पर हंगामा मचाना ठीक नहीं है क्योंकि जदयू ने अपना रुख साफ़ कर दिया है। जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार ने कहा कि वो किसी के भी बयान से प्रभावित होने वाले नहीं हैं।
विधायक फराज फातमी ने न केवल पार्टी के स्टैंड का विरोध किया है, बल्कि नीतीश कुमार को राज्य का सबसे बड़ा चेहरा भी बताया है। उन्होंने कहा, "बिहार में नीतीश कुमार से बड़ा कोई चेहरा नहीं है। 2020 में भी वही सरकार बनाएँगे।"
सोनु को पता चला कि नीतीश कुमार के शिक्षा विभाग ने खुद बताया है कि बिहार पुलिस के पेपरों के उत्तर परीक्षा से पहले ही वॉट्सऐप पर आ गए थे। इसके बाद वो निराशा में मुख्यमंत्री से फॉर्म भरने के पैसे और उनका 3 दिन का समय वापस करने की माँग कर दी।
हाजीपुर स्टेशन से गुजर रही राजधानी एक्सप्रेस पर भी अभ्यर्थियों का ग़ुस्सा फूटा। इस दौरान उन्होंने ट्रेन पर जमकर पत्थरबाज़ी की। इससे ट्रेन के शीशे टूट गए और उसमें सवार यात्रियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
बालिका गृह से गायब दाे किशोरियॉं आखिर कहॉं गईं? जिन दो बच्चियों की हत्या की बात उनके साथियों ने कही थी, उनके शव ब्रजेश ठाकुर एंड कंपनी ने कहॉं ठिकाने लगाया? दो बड़े सवाल जिनका सीबीआई नहीं दे पाई जवाब।
111 पन्नों की उस रिपोर्ट के 6 पन्ने इतने भयावह दास्तानों से भरे पड़े थे कि पूरा देश उबल पड़ा। यौन शोषण, प्रताड़ना, जानवरों से भी बदतर हालात में रहने की मजबूरी। जिम्मेदार बताए गए 71 अधिकारियों पर गाज गिरेगी या फिर होगी लीपापोती?
कॉन्ग्रेस नेताओं के हिरासत में लिए जाने की सूचना मिलते ही RLSP प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी कोतवाली थाना पहुँचे, जहाँ उन्होंने कॉन्ग्रेस के मॉर्च में हुए लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की और कहा कि नीतीश सरकार, विरोधियों की आवाज़ को दबाना चाहती है।