NIA ने माओवादियों से संबंध के आरोप में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कई बड़े वकीलों और विभिन्न संस्थाओं के कार्यकर्ताओं के घरों और कार्यालयों पर छापेमारी की।
उद्धव ठाकरे ने बीते दिनों एल्गार परिषद की जाँच NIA को सौंपने को मँजूरी दी थी। पवार ने उद्धव के फैसले की कड़ी आलोचना की थी। अब उनको समन जारी होने के बाद महाराष्ट्र सरकार के मतभेद और गहराने के कयास लगाए जा रहे हैं।
चार्जशीट में यह भी कहा गया था कि एल्गर परिषद हिंसा आरोपितों द्वारा सरकार को उखाड़ फेंकने और भीमा कोरेगाँव में झड़पों के माध्यम से लोगों को उकसाने, उपद्रव करने, भड़काने और आतंकवादी गतिविधियों के लिए कैडर की भर्ती करने समेत अवैध कार्य करना उनकी साज़िश का हिस्सा थे।
सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कॉन्ग्रेस सरकार बनने के बाद जॉंच में हस्तक्षेप से पुलिस असहज महसूस कर रही है। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने पिछले दिनों कहा था कि इसकी जॉंच के लिए सीएम से एसआईटी बनाने की मॉंग करेंगे।
आंदोलन का स्टेज सज गया, वक्ता आ गए, लेकिन इससे आंदोलन सफल नहीं कहा जाता। वो न सिर्फ हिंसा भड़काना चाहते हैं, बल्कि अपने ही लोगों से पेट्रोल बम फिंकवाते हैं, और भीड़ को कहते हैं कि देखो ब्राह्मणों ने बम फेंका तुम पर, तुम्हें 5000 सालों से सता रहे हैं, देखते क्या हो, यलगार हो!