यूपी में अनुसूचित जातियों के लिए 17 लोकसभा और 403 विधानसभाओं में से 86 सीटें रिजर्व हैं। इनमें इन जातियों को चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा। जबकि, ओबीसी के लिए सीटें रिजर्व नहीं हैं। इसका दुष्परिणाम जातिगत राजनीति करने वाली सपा-बसपा जैसी पार्टियों को भुगतना पड़ेगा।
"मेरी नजर में अखिलेश यादव की कोई अहमियत नहीं रह गई है। राम गोविंद चौधरी ने सपा के वोट भाजपा को ट्रांसफर करवा दिए लेकिन फिर भी अखिलेश ने उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की।"
बसपा सुप्रीमो मायावती की अहम बैठक में उनके भाई आनंद कुमार को पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया। वहीं उनके भतीजे आकाश को नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी गई। साथ ही 'बुआ-बबुआ' पर लगाम लगाते हुए आगामी उपचुनाव में पार्टी नेताओं को सपा से अलग चुनाव लड़ने की तैयारी करने को कहा गया।
पीड़िता ने इस बात का भी ख़ुलासा किया था कि अतुल राय ने उसे जान से मारने की धमकी भी दी थी। अतुल राय लोकसभा चुनाव प्रचार के समय से ही लापता था। पिछले दिनों संसद में शपथ ग्रहण के दौरान भी अतुल राय वहाँ मौजूद नहीं था, इसलिए भी वो चर्चा का विषय बना हुआ था।
लोकसभा चुनाव 2019 थम गए हैं लेकिन इसके नतीजे और रुझान थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। चुनाव में बहन मायावती की पार्टी BSP को मिली करारी हार के बाद पार्टी में असंतोष खुलकर सामने आ गया है।
इस घोटाले के बारे में उन्हें तब मालूम चला था जब बीज निगम ने भुगतान के लिए अपना बिल कृषि विभाग के पास भेजा था। इस दौरान 99 लाख का फर्जी बिल पाया गया, जिसके बाद ही घोटाले की विभागीय जाँच शुरू हुई।
बसपा सुप्रीमो का कहना है कि उनका रिश्ता सिर्फ़ राजनैतिक नहीं था, ये आगे भी इसी तरह का रहेगा। लेकिन, इन अच्छे संबंधों के बावजूद वो लोकसभा चुनावों में आए नतीजों को भूल नहीं सकती हैं। इसी वजह से उन्हें अपने फैसले पर दोबारा सोचना पड़ा।
बीजेपी अपने दम पर पूरे यूपी में 50% के करीब वोट और 64 सीटों पर जीत हासिल की तो वहीं सपा-बसपा मिलकर 15 सीटें और 40 फीसदी के आसपास वोट शेयर हासिल कर पाई। कुल मिलाकर पूरी तरह फेल हो गया उनका जातीय समीकरण। यही अब गठबंधन में टूट का कारण बन कर उभरा है।
मायावती ने यूपी में कुछ सीटों पर गठबंधन को मिली जीत को भाजपा की सोची-समझी साजिश बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने ऐसा इसलिए किया है ताकि चुनाव पूरी तरह से प्रभावित नजर न आए और कोई सवाल न उठा सके।
मायावती ने अपनी संभावित हार के लिए बलि के बकरे तलाशने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के पूर्व ऊर्जा मंत्री और विधानसभा में पार्टी के विधायक दल के सचेतक (व्हिप - whip) रामवीर उपाध्याय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।