Tuesday, March 19, 2024
Homeराजनीति'अखिलेश यादव मुस्लिमों को लोकसभा चुनाव में ज्यादा टिकट नहीं देना चाहते थे, क्योंकि...'

‘अखिलेश यादव मुस्लिमों को लोकसभा चुनाव में ज्यादा टिकट नहीं देना चाहते थे, क्योंकि…’

"अखिलेश सरकार में गैर यादव और पिछड़ों के साथ नाइंसाफी हुई, इसलिए उन्हें वोट नहीं मिला। प्रचार के दौरान आरक्षण का विरोध करने की वजह से दलितों और पिछड़ों ने..."

बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बयान दिया है कि अखिलेश यादव मुस्लिमों को ज्यादा टिकट नहीं देना चाहते थे, क्योंकि उनका कहना था इससे ध्रुवीकरण होगा, लेकिन मायावती ने उनकी बात नहीं मानी। मायावती ने बताया कि प्रचार के दौरान आरक्षण का विरोध करने की वजह से दलितों और पिछड़ों ने सपा को वोट नहीं किया है।

प्रदेश मुख्यालय पर पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में मायावती ने यूपी में हुए गठबंधन और नतीजे के बाद की गतिविधियों पर जानकारी साझा की और बताया कि गठबंधन से उनकी पार्टी को अब तक किसी चुनाव में कोई फायदा नहीं हुआ है और यही हाल इस चुनाव में भी रहा। अपनी पूरी बातचीत से मायावती ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी नजर में अखिलेश यादव की कोई अहमियत नहीं रह गई है।

मायावती ने इस दौरान अखिलेश से नाराज़गी जताते हुए कहा कि चुनाव हारने के बाद अखिलेश ने उन्हें फोन तक नहीं किया। सतीश मिश्रा ने उनसे कहा भी, लेकिन फिर भी उन्होंने फोन नहीं किया। मायावती ने बताया कि इस दौरान उन्होंने बड़े होने का फर्ज निभाया और काउंटिंग के दिन 23 तारीख को अखिलेश के पास फोन करके उनके परिवार की हार पर अफसोस जताया।

मायावती ने इस बातचीत में सपा नेता राम गोविंद चौधरी पर आरोप लगाया कि सलेमपुर से बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को उन्होंने हरवाया है। उन्होंने सपा के वोट भाजपा को ट्रांसफर करवा दिए लेकिन फिर भी सपा नेता ने उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की।

मायावती के मुताबिक 3 जून को जब उन्होंने गठबंधन तोड़ने की बात की, तब भी अखिलेश ने सतीश चंद्र मिश्रा को फोन किया, लेकिन उनसे बात नहीं की। मायावती की मानें तो अखिलेश सरकार में गैर यादव और पिछड़ों के साथ नाइंसाफी हुई, इसलिए उन्हें वोट नहीं मिला।

इसके अलावा पुरानी दुशमनी को भुलाकर चुनाव के दौरान हुए सपा-बसपा के गठबंधन से लग रहा था कि पिछले मनमुटाव खत्म हो चुके हैं लेकिन इस बातचीत में मायावती ने उस घटना का दोबारा जिक्र किया। जिससे साफ़ हो गया कि उनके जख्म अभी भी ताजा हैं। उन्होंने कहा कि ताज कॉरिडोर मामले में उनके खिलाफ बीजेपी की साजिश में सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव भी शामिल थे। उन्होंने 2006 के समय को याद किया जब बसपा संस्थापक कांशीराम की मृत्यु हुई थी और केंद्र की कॉन्ग्रेस सरकार की तरह मुलायम सरकार ने भी न तो एक भी दिन का शोक घोषित किया और न ही दो फूल ही चढ़ाने पहुँचे थे।

बता दें कि इन दिनों मायावती आगामी चुनावों को अकेले लड़ने की योजना बना रही हैं। इसके मद्देनजर उन्होंने अपने भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोआर्डिनेटर बना दिया है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘प्रथम दृष्टया मनी लॉन्डरिंग के दोषी हैं सत्येंद्र जैन, ED के पास पर्याप्त सबूत’: सुप्रीम कोर्ट ने दिया तुरंत सरेंडर करने का आदेश, नहीं...

ED (प्रवर्तन जिदेशलय) के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाँच एजेंसी के पास पर्याप्त सामग्रियाँ हैं जिनसे पता चलता है कि सत्येंद्र जैन प्रथम दृष्टया दोषी हैं।

रामजन्मभूमि के बाद अब जानकी प्राकट्य स्थल की बारी, ‘भव्य मंदिर’ के लिए 50 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करेगी बिहार सरकार: अयोध्या की तरह...

सीतामढ़ी में अब अयोध्या की तरह ही एक नए भव्य मंदिर का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए पुराने मंदिर के आसपास की 50 एकड़ से अधिक जमीन अधिग्रहित की जाएगी। यह निर्णय हाल ही में बिहार कैबिनेट की एक बैठक में लिया गया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
418,000SubscribersSubscribe