काँवड़ यात्रा में जातिवाद, क्षेत्रवाद और लिंगभेद का नामोनिशान तक नहीं। काँवड़ियों ने अपनी पहचान बस 'भोले भक्त' बताई। महिलाओं और साधु-संतों से भी हमने की बात।
चाहे कुंभ हो या काँवड़ यात्रा, इनका केवल धार्मिक और सामाजिक महत्व ही नहीं है। ये अर्थव्यवस्था में भी अपना योगदान देते हैं। इसका आर्थिक पक्ष एक ही धर्म के लोगों को फायदा नहीं पहुँचाता।