"हमारे समुदाय में अगर कोई अविवाहित लड़की की मृत्यु होती है तो एक पेड़ से उसकी शादी की रस्म निभाई जाती है। अफसोस कि मेरी भतीजी डॉक्टर रेड्डी के मामले में ये भी नहीं हो सका।"
जब शिवा स्कूटी लेकर लौटा, तब मोहम्मद आरिफ ने 'प्रीति रेड्डी' का हाथ पकड़ा और केशवुलु ने उनके पाँवों को जकड़ लिया। नवीन ने पीड़िता का कमर पकड़ा और तीनों उन्हें उठा कर झाड़ियों में ले गए। पुलिस की रिपोर्ट में चारों आरोपितों के कुकर्मों का है पूरा विवरण।
"मेरी खुद की भी एक बेटी है, मैं 'प्रीति रेड्डी' के परिवार का दर्द समझ सकती हूँ। हैवानियत भरे कृत्य के लिए मेरे बेटे को फाँसी दे दी जानी चाहिए या फिर जिंदा जला दिया जाना चाहिए। अगर अपने बेटे का बचाव करती हूँ तो लोग पूरी जिंदगी मुझसे नफरत करेंगे।"
लिंगाराम ने बताया कि दोनों पहली नज़र में ही संदिग्ध प्रतीत हो रहे थे। उनकी गतिविधियाँ संदेहास्पद होने के कारण लिंगाराम ने उन्हें पेट्रोल बेचने से इनकार कर दिया। गवाह लिंगाराम ने पुलिस को यह भी बताया कि वो आरोपितों को सामने देखते ही पहचान सकते हैं। इसके बाद ही...
आरोपित पीड़िता को घसीटकर खेत में ले गए। सॉफ्ट ड्रिंक में व्हिस्की मिलाकर उसे पीने को मजबूर किया। सिर पर वार किया। बारी-बारी से रेप करने के बाद उसकी हत्या कर दी। फिर लाश को लॉरी में डाल लिया, लेकिन दरिंदगी जारी रही...
रात के सवा नौ बजे जब डॉ. प्रीति ने अपनी बहन को फ़ोन किया था, उसी समय आरिफ़ ने उनके पास आकर मदद की पेशकश की थी। टोल प्लाजा पर स्कूटी खड़ी करते देख ही वह अपने साथियों के साथ रेप और मर्डर का प्लान बना चुका था।
लगभग 35-वर्षीया महिला की लाश की प्रारम्भिक जाँच में पुलिस को संदेह है कि उसने खुद को आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उसकी लाश सिद्दुलागट्टा रोड पर एक सुनसान जगह पर पड़ी मिली थी। पुलिस ने बताया कि महिला की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं थी।
10 बजे (लगभग) रात के बाद से 2-2:30 बजे तक दरिंदगी और हैवानियत। इसी समय शव को आग लगाने के बाद ट्रक और स्कूटर से भागे। लेकिन कुछ देर बाद ही स्कूटर पर सवार दो आरोपितों ने वापस जाकर यह देखा कि बॉडी ठीक से जली या नहीं ताकि पहचान...
पूरे दिन प्रीति रेड्डी (बदला हुआ नाम) के रेप और हत्या की खबरों से मीडिया और सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा उबलता रहा, वहीं रात होते-होते एक और हृदयविदारक खबर आई है कि उसी इलाके में, उसी थाना क्षेत्र में एक और महिला की अधजली लाश मिली है।
"मुझे इस घटना का दुख है। लेकिन ये दुर्भाग्य की बात है कि पीड़िता एक डॉक्टर थी, पढ़ी-लिखी थी, फिर भी उसने ऐसे समय में पहले अपनी बहन को कॉल क्यों किया? उसने 100 नंबर पर कॉल क्यों नहीं किया। अगर वो 100 नंबर पर कॉल करती तो शायद उसे बचाया जा सकता था।"