2006 में स्वामीनाथन कमिटी की एक रिपोर्ट आई थी, जो किसानों की समस्या का हल बताना चाह रही थी कि कहाँ-कहाँ पर सुधारों की आवश्यकता है। संसद में तीन बिल पास हुए हैं, जिसमें से दो को लेकर काफी विवाद हो रहा है।
इसमें से एक बिल किसानों को अपनी उपज अपने मन मुताबिक बेचने की आजादी देता है। वो चाहे तो आढ़त में बेचे, बगल वाली मंडी में बेचे या फिर कहीं और, जहाँ उन्हें अधिक दाम मिलने की उम्मीद हो। दूसरा बिल APMC से संबंधित है।
इन तीनों बिलों ने 5 जून 2020 को ही अधिनियम का रूप ले लिया था, लेकिन तब से लेकर पिछले सप्ताह संसद में लाए जाने तक किसी भी राजनीतिक दल, किसान संगठन अथवा राज्य सरकार ने कोई विरोध नहीं जताया। क्यों? क्योंकि राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ क्षेत्रीय स्तर पर राजनीतिक पतन होने वाली पार्टियाँ संसद में नौटंकी करके अस्तित्व में रहने की कोशिश करते हैं।
पूरी वीडियो यहाँ क्लिक करके देखें