दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों की जाँच में जुटी दिल्ली पुलिस ने पिछले दिनों उमर खालिद को गिरफ्तार किया। उसकी गिरफ्तारी के साथ ही सोशल मीडिया पर लिबरल गिरोह का रोना पीटना शुरू हो गया। इससे पहले खालिद का नाम AAP के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन की गिरफ्तारी के बाद सामने आया था।
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में हुसैन ने यह कबूला था कि 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उसकी मीटिंग उमर खालिद और खालिद सैफी से हुई, जिसमें यह तय हुआ कि दंगे कब होने हैं। अब इसी उमर खालिद के फोन से पुलिस को 40 जीबी ऐसा डेटा हाथ लगा है, जिसकी फॉरेंसिंक जाँच के बाद पता चलता है कि आखिर उमर खालिद किस करह इन दंगों में शामिल था।
इसके अलावा उमर के भाषणों पर यदि गौर किया जाए तो यह भी मालूम होगा कि उसने कैसे वर्ग विशेष को उन हर कानूनों पर बरगलाया, जिन्हें सरकार या तो समुदाय विशेष की भलाई के लिए लेकर आई या जिनसे उनका कोई लेना-देना नहीं था।
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