Monday, December 23, 2024
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2000 करोड़ रुपए कचड़े में: 7 साल पहले बेकार समझ फेंक दी थी, खोजने वाले को मिलेगा 50%

जेम्स ने गलती से उस हार्ड ड्राइव को फेंक दिया था। यह सोच कर कि उनके पास तो इसके सारे बैकअप फाइल्स पड़े ही हुए हैं। लेकिन उसमें अभी के हिसाब से 2000 करोड़ रुपए भरे पड़े थे। अब उस हार्ड ड्राइव को वो...

ये 2013 की बात है। ब्रिटिश आईटी कर्मचारी जेम्स हॉवेल्स (James Howells) ने एक हार्ड ड्राइव को कचरे में फेंक दिया था। ये वो साल था, जब बिटकॉइन (Bitcoin) की कीमत मात्र 50 डॉलर चल रही थी और इसे कोई खरीदने वाला भी नहीं था, न ही मीडिया में कहीं इसकी चर्चा थी। आज जेम्स हॉवेल्स उस हार्ड ड्राइव को खोजने के लिए छान मार रहे हैं, क्योंकि उसमें 7500 Bitcoins थे, जिनकी कीमत आज 26.94 करोड़ डॉलर (1971 करोड़ रुपए) है।

जेम्स हॉवेल्स का कहना है कि उन्होंने गलती से उस हार्ड ड्राइव को फेंक दिया था, जो अचानक हुई घटना थी। आज जब एक-एक Bitcoin की कीमत $36,000 (26.28 लाख रुपए) पर घूम रह है, वो घूम-घूम कर उस हार्ड ड्राइव को खोज रहे हैं। अब वेल्स के न्यूपोर्ट के रहने वाले जेम्स ने अपने सिटी काउंसिल को ऑफर दिया है कि वो अगर शहर के कचरे में से उस हार्ड ड्राइव को ढूँढ निकालें तो वो नगर प्रशासन को बड़ी रकम देंगे।

उन्होंने ऐलान किया है कि वो इस रकम का 25% डोनेट कर देंगे, ताकि इसे न्यूपोर्ट के हर एक नागरिक को उसका हिस्सा मिल सके। इस हिसाब से प्रति व्यक्ति को 239 डॉलर्स (17,485 रुपए) मिलेंगे, क्योंकि शहर की जनसँख्या 3.16 लाख है। लेकिन, जेम्स का दुर्भाग्य ये है कि शहर के प्रशासन ने उनकी माँगों को मानना तो दूर की बात, इस सम्बन्ध में उनके साथ बैठक तक करने से इनकार कर दिया।

जब क्रिप्टो करेंसीज अपने शुरुआती स्टेज में थी, तभी जेम्स हॉवेल्स ने 4 साल लगा कर इन Bitcoins को लिया था। जून-अगस्त 2013 में जेम्स हॉवेल्स ने ये सोच कर उस हार्ड ड्राइव को फेंक दिया कि उनके पास तो इसके सारे बैकअप फाइल्स पड़े ही हुए हैं। 2013 में ही जब Bitcoin के दाम $150 से $1000 तक पहुँचे, तब उन्हें पहली बार अपनी गलती का एहसास हुआ। वो कचरे में घूम-घूम कर खोज रहे हैं लेकिन ड्राइव नहीं मिल रहा।

उन्होंने कहा है कि वो अब पर्यावरण के नियमों का पालन करते हुए ‘ग्रिड सेफ्टी रेफेरेंस’ से उस हार्ड ड्राइव को कचरे के उसी क्षेत्र में ढूँढ रहे हैं। डेटा रिकवरी स्पेशलिस्ट उस ड्राइव को ठीक कर सकता है, भले ही वो टूट-फूट ही क्यों न गया हो। उन्होंने यहाँ तक कहा है कि जो व्यक्ति उसे खोजने में फंडिंग करेगा, उसे इसका 50% मिलेगा और 25% न्यूपोर्ट के लोगों को देकर वो खुद मात्र 25% ही अपने पास रखेंगे।

प्रशासन का कहना है कि इतनी बड़ी खुदाई और खोज अभियान से वातावरण पर खासा बुरा प्रभाव पड़ेगा। उनका कहना है कि कचरे को वहाँ से हटाने और फिर उसमें खोजबीन करने में ही कई मिलियन पाउंड खर्च हो जाएँगे। वॉलेट रिकवरी सर्विस नामक कंपनी का कहना है कि उसे रोज ऐसे 70 निवेदन मिल रहे हैं, जहाँ यूजर्स अपने हार्ड ड्राइव को फिर से रिकवर करना चाह रहे हैं। ये संख्या बढ़ती ही जा रही है।

इसी तरह खबर आई थी कि सैन फ्रांसिस्को में रह रहे जर्मन प्रोग्रामर स्टेफन थॉमस के लिए चीजें और मुश्किल हो गई हैं। उनके पास पासवर्ड गेस करने के मात्र 2 मौके बचे हैं, वरना 220 मिलियन डॉलर (1608 करोड़ रुपए) के Bitcoins चले जाएँगे। उन्हें Ironkey नामक एक छोटे हार्ड ड्राइव को अनलॉक करना होगा। उन्होंने जिस डिजिटल वॉलेट में 7002 Bitcoins रखे थे, उन्हें पाने के लिए उसके प्राइवेट कीज चाहिए, जो इसी में हैं। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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