चीन में ‘महिला अधिकार’ के नाम पर टेरेसा जू नाम की महिला ने अपने अंडों को फ्रीज करवाने की गुहार कोर्ट में लगाई थी। कोर्ट ने इस मामले को तीन साल अपने पास रखा और अब जाकर महिला की माँग के विरोध में फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा कि अगर कोई स्थानीय अस्पताल अविवाहित महिला के अंडों को फ्रीज करने से इनकार करता है तो इसमें किसी तरह से अधिकारों का या कानून का उल्लंघन नहीं होता।
अदालत का फैसला सुन कर टेरेसा जू ने इस निर्णय के विरुद्ध अपील करने की कसम खाई और कहा कि वो इस तरह के मामलों को समाप्त नहीं होने देंगे। उन्होंने कोर्ट के फैसला को त्रासदी जैसा कहा है। वहीं नारीवादी भी इस फैसले पर सवाल उठा रही हैं। सबका पूछना है कि शादी न होने के कारण महिला को उसके अधिकार से कैसे वंचित किया जा सकता है।
In 2018, Xu Zaozao, also known as Teresa Xu, then 30 years old, had gone to a public hospital in Beijing, to ask about freezing her eggs. After an initial examination, she was told she could not proceed because she could not show a marriage certificate.https://t.co/iRzCbFVTyW
— The Asian Feminist (@theasianfmnst) July 24, 2022
बता दें कि चीन में अलग से अविवाहित लोगों के लिए प्रजनन उपचार जैसी सेवाएँ सामान्य रूप से प्रतिबंधित नहीं हैं। लेकिन फिर भी अस्पतालों में मैरिज लाइसेंस माँगा जाता है। इसके अलावा वे महिलाएँ जो बिन शादी के माँ बनना चाहती हैं उन्हें मैटरनिटी लीव आदि के लिए बहुत जद्दोजहद करनी पड़ती हैं।
Chinese Single Woman Denied Egg Freezing Procedure https://t.co/b7owjUNUbw A Chinese court has ruled that an unmarried woman’s rights were not violated when a hospital refused to freeze her eggs because of her marital status.
— Dejun Liu (@LiuDejun) July 24, 2022
In 2018, Teresa Xu, then 30, sought to have her e…
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में जब 30 साल की जू बीजिंग के कैपिटल मेडिकल यूनिवर्सिटी के अस्पताल अंडे फ्रीज करवाने गई तो प्रारंभिक जाँच के बाद कहा गया कि आगे तभी बढ़ेंगे जब शादी का सर्टिफिकेट मिलेगा। चूँकि जू पर वो नहीं था तो अस्पताल ने उसके अंडे फ्रीज नहीं किए।
जू ने आरोप लगाया कि डॉक्टर उसे जवानी में ही बच्चा पैदा करने को बोल रहे थे जबकि वो अपने अंडे इसलिए बचाकर रखवाना चाहती हैं ताकि वह बाद में बच्चा पैदा करने के लिए उनका इस्तेमाल कर सकें।
महिला ने इस तरह अस्पताल द्वारा उसकी माँग नकारे जाने पर इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर शॉर्ट वीडियो बनाकर उठाया और तूल मिलने के बाद 2019 में इसे कोर्ट लेकर गईं। स्थानीय मीडिया के अनुसार, अस्पताल के खिलाफ किया गया ऐसा देश में पहला केस है।
अस्पताल ने केस की सुनवाई में कोर्ट को बताया कि इस तरह अंडो को फ्रीज करना कई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा लेट प्रेगनेंसी भी कई रिस्क लेकर आती है। अस्पताल ने ये भी साफ किया कि उनके यहाँ यह नीति है कि अंडे फ्रीज करने की सर्विस उन्हीं को दी जाती है जो प्राकृतिक ढंग से बच्चे पैदा करने में सक्षम न हों, न कि ये स्वस्थ मरीजों के लिए सुविधा है।