सामान्य वर्ग के कमज़ोर तबके को 10 फ़ीसदी आरक्षण देने वाला बिल पास होने के बाद से ही लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है। सामान्य वर्ग के ग़रीबों को आरक्षण देने संबंधी बिल के तहत सरकार अब ₹8 लाख और 5 एकड़ ज़मीन के दायरे को कम कर सकती है।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक अगले महीने इस तरह के बदलाव को अमल में लाया जा सकता है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने भी बदलाव करने की संभावना व्यक्त की है। उनके मुताबिक़ वर्तमान में जो आय और संपत्ति का दायरा है, वो अधिक है।
सामान्य वर्ग आरक्षण बिल पर जानकारी देते हुए गहलोत ने बताया कि फ़िलहाल जो बिल लोकसभा में पास हुआ है, उसमें आय और संपत्ति का ज़िक्र नहीं किया गया है।
इसका सीधा सा मतलब यह है कि सरकार अगले महीने बिल में इस प्रकार बदलाव करेगी, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि 10 फ़ीसदी आरक्षण का लाभ सामान्य वर्ग के केवल ज़रुरतमंद तबके को ही मिले। वित्त मंत्रालय के मुताबिक, केंद्र इस बात पर भी विचार कर रहा है, कि राज्यों को अपने हिसाब से सवर्ण आरक्षण के दायरे को निर्धारित करने की छूट दी जाए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के बीच क्रीमी लेयर के लिए मौजूदा मापदंडों से वार्षिक घरेलू आय और भूमि की होल्डिंग का संदर्भ तब लिया गया था, जब आरक्षण हेतु आर्थिक अभाव को शामिल करने के लिए संविधान संशोधन पर विचार किया जा रहा था।
संविधान के अनुच्छेद 15 में क्लॉज़ 4 और 5 में कम समृद्ध दलित, आदिवासी और ओबीसी को कोटा के अंतर्गत कवर नहीं किया गया था। इन क्लॉज़ों के कारण ही आरक्षण की बाधा उत्पन्न हो रही थी। गहलोत ने कहा, “क्लॉज 6 अब इस तरह का आरक्षण देना संभव बनाता है।” इसके अलावा उन्होंने जानकारी दी कि मंत्रालय अब जिन उपायों पर विचार करेगा, उसके अंतर्गत आय और ग़रीबी के मौजूदा संकेतकों को ध्यान में रखा जाएगा।