नीदरलैंड के संसदीय चुनाव में अपनी पार्टी को मिली सफलता के बाद गीर्ट वाइल्डर्स (Geert Wilders) ने हिंदुओं का समर्थन करते रहने की बात कही है। चुनावी नतीजों के बाद इस दक्षिणपंथी नेता के यूरोपीय देश का प्रधानमंत्री बनने के आसार हैं।
वाइल्डर्स की पहचान एक ऐसे नेता के तौर पर है जो इस्लामी कट्टरपंथ के खिलाफ मुखर हैं। उन्होंने एक्स/ट्विटर पर एक पोस्ट में कहा है, “नीदरलैंड के चुनावों में जीत के बाद दुनिया भर से बधाई संदेश भेजने वाले मित्रों का आभार। भारत से समर्थन में काफी संदेश आ रहे हैं। मैं हमेशा उन हिंदुओं का समर्थन करता रहूँगा जिन्हें हिंदू पहचान के कारण बांग्लादेश, पाकिस्तान में निशाना बनाया जाता है। प्रताड़ित किया जाता है।”
Thanks so much to all my friends from all over the world who congratulated me on winning the Dutch elections.
— Geert Wilders (@geertwilderspvv) December 17, 2023
Many kind messages came from #India: i’ll always support Hindus who are attacked or threatened to be killed or prosecuted in Bangladesh, Pakistan only for being Hindu.
60 साल के वाइल्डर्स की कंजर्वेटिव पार्टी फॉर फ्रीडम (PVV) ने संसदीय चुनावों में सबसे ज्यादा 37 सीटें जीती है। सरकार बनाने के लिए 76 सांसदों की जरूरत है। गठबंधन सरकार बनाने को लेकर पार्टी की अन्य दलों से बातचीत चल रही है। इस बात की पूरी संभावना है कि गठबंधन का नेतृत्व करते हुए गीर्ट वाइल्डर्स प्रधानमंत्री बनेंगे। वैसे पूरी प्रक्रिया में अभी 8-10 महीने का समय लग सकता है।
PVV नीदरलैंड में इस्लाम के प्रसार के विरुद्ध रही है। नीदरलैंड में मस्जिदों, कुरान और हिजाब पर प्रतिबंध लगाने की माँग करती रही है। ऐसे में उसकी जीत का प्रभाव पूरे यूरोप पर पड़ने की संभावना है। बीते साल जब ‘ऑल्ट न्यूज’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने नूपुर शर्मा को टारगेट किया था, तब वाइल्डर्स ने बीजेपी की इस पूर्व नेता का समर्थन किया था। जुबैर के उकसावे के बाद से नूपुर शर्मा को जिहादी हत्या की धमकी दे रहे हैं। वे सार्वजनिक जीवन से दूर रहने को मजबूर हैं।
कौन हैं गीर्ट वाइल्डर्स?
नीदरलैंड के वेनलो में 6 सितंबर 1963 में जन्मे गीर्ट वाइल्डर्स एक दक्षिणपंथी डच नेता हैं। वह अपने इस्लाम विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं। वह वर्ष 2004 के बाद से लगातार पुलिस सुरक्षा में रहते हैं। उनके एक बार मोरक्को के लोगों को कूड़ा बोलने पर काफी विवाद हुआ था। पीवीवी की स्थापना उन्होंने 2006 में की थी। उन्हें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का डच अवतार भी कहा जाता है।
वाइल्डर्स ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत उदारवादी पार्टी पीपुल्स पार्टी फॉर फ्रीडम एंड डेमोक्रेसी (वीवीडी) से की थी। वे पिछले ढाई दशकों से नीदरलैंड की राजनीति में सक्रिय हैं, वह 1998 के बाद से डच संसद में हैं। उनका ताल्लुक एक सामान्य माध्यम वर्गीय परिवार से है। वह 1981 से 1983 के बीच इजरायल में भी रहे हैं। इस दौरान उन्होंने मध्य एशियाई देशों की यात्रा की, जिस दौरान वे कट्टरपंथी इस्लाम के खतरों से अवगत हुए।
वाइल्डर्स को अवैध प्रवासियों के प्रति उनके कठोर रवैए और डच हितों को सबसे आगे रखने के लिए जाना जाता है। उन्होंने जुलाई 2022 में भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा और बांग्लादेशी हिंदुओं का मुद्दा भी डच संसद में उठाया था। उन्होंने अक्टूबर 2022 में भी नूपुर शर्मा के समर्थन में ट्वीट किया था। डच सांसद ने भारत में हिंदुओं पर हमले की घटनाओं का भी जिक्र किया था। उन्होंने नूपुर शर्मा का समर्थन करने पर इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा एक हिंदू दर्जी (कन्हैया लाल) का सिर कलम करने की घटना पर भी प्रकाश डाला था।
उन्होंने कहा था कि नुपुर शर्मा ने सही कहा था और मुस्लिमों के उन के खिलाफ विरोध को बेजा बताया था। वाइर्ल्डस ने तब अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया था, “अल-कायदा जैसे इस्लामी आतंकवादियों के आगे कभी न झुकें, वे बर्बरता का प्रतिनिधत्व करते हैं। पूरे भारतीय राष्ट्र को अब नूपुर शर्मा के पक्ष में एकजुट होना चाहिए और उनका समर्थन करना चाहिए। अल कायदा और तालिबान ने सालों पहले मुझे अपनी हिटलिस्ट में डाल में दिया था। इसके एक सबक है कि आतंकवादियों के सामने कभी न झुकें, कभी नहीं।”
गीर्ट ने 2012 में ‘मार्क्ड फॉर डेथ: इस्लाम्स वॉर अगेंस्ट द वेस्ट एंड मी’ किताब लिखी थी। अपने एक लेख में उन्होंने कहा था कि वो मुस्लिमों से नहीं, लेकिन उनकी किताब और उनकी विचारधारा से जरूर नफरत करते हैं। बताते चले कि गीर्ट ने साल 2008 में ‘फितना’ नाम की एक फिल्म भी बनाई है। इसमें उन्होंने आतंकी घटनाओं को कुरान से जोड़ा है। उनकी इस फिल्म पर खासा विवाद छिड़ा था। गीर्ट के खिलाफ अदालत में केस तक चला था।