वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की शनिवार (22 जून) को हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इसमें करदाताओं को राहत देने और कारोबारियों पर कंप्लाएंस बोझ को कम करने के लिए निर्णय लिए गए। इसके अलावा, इसमें दूध के डिब्बों पर से जीएसटी को 18% से घटाकर 12% करने और इसे एक समान बनाने का निर्णय भी शामिल था।
दूध का डिब्बा स्टील, लोहे या एल्युमीनियम चाहे जिससे भी बना हो, उस पर अब 18% के स्थान पर 12% की एक समान जीएसटी दर लागू होगी। परिषद के इस निर्णय की घोषणा के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर यह बात फैलाई जाने लगी कि मोदी सरकार ने दूध के डिब्बों पर 12% का नया कर लगा दिया है।
मोदी सरकार का पहला तोहफा कबूल करो
— Dr Monika Singh (@Dr_MonikaSingh_) June 22, 2024
GST मीटिंग में फैसला-
दूध के डिब्बों पर 12% टैक्स
दूध के डिब्बों पर जीएसटी में की गई इस कटौती को इस तरह पेश किया जा रहा है, जैसे कि यह मोदी 3.0 द्वारा शुरू किया गया कोई नया कर हो। इस तथ्य को छिपाया जा रहा है कि यह जीएसटी में कटौती के बाद की दर है। मोदी सरकार के कई आलोचकों ने इस खबर को कुछ ऐसे ही एंगल के साथ साझा किया है।
मोदी सरकार का पहला तोहफा कबूल करो
— Dr Monika Singh (@Dr_MonikaSingh_) June 22, 2024
GST मीटिंग में फैसला-
दूध के डिब्बों पर 12% टैक्स
பாலுக்கு பால் உற்றிய நிர்மலாமேடம்!!
— R.Rajiv Gandhi ✨ (@rajiv_dmk) June 22, 2024
12% GST வரி கொள்ளை!
कुछ सतर्क एक्स (पूर्व में ट्विटर) यूजर्स ने बताया कि वास्तव में दूध के डिब्बों पर जीएसटी दरों में कमी की गई है। गौर करने वाली बात यह है कि 12% का यह जीएसटी सिर्फ़ दूध के डिब्बों पर है, उस दूध पर नहीं जिसे हम सब खरीदते हैं।
हालाँकि, जिस तरह से फर्जी खबरें का प्रचार-प्रसार होता है, उसमें हैरान मत होइए अगर आप यूट्यूबर्स अपने चैनलों पर वीडियो बनाएँ कि मोदी सरकार अब दूध पर 12% टैक्स लगा रही है और बाद में राहुल गाँधी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने बाहर आ जाएँ।
दिलचस्प बात यह है कि जीएसटी दरें जीएसटी परिषद द्वारा तय की जाती हैं, जिसमें विपक्ष द्वारा शासित राज्यों सहित सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं। इसलिए कर दरों के लिए अकेले मोदी सरकार को दोष देना बिल्कुल समझ से परे है।