सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण में SC/ST के उपवर्गीकरण का आदेश दिया है, ताकि अंतिम पायदान पर खड़े ग़रीबों तक भी सरकारी लाभ पहुँचे। अब इसके समर्थन और विरोध में पक्ष-विपक्ष दोनों बँटा हुआ है। यहाँ तक कि मोदी सरकार के 2 मंत्री HAM(S) के जीतन राम माँझी और LJP(R) के चिराग पासवान आपस में भिड़ गए हैं। जीतन राम माँझी जहाँ केंद्रीय माध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्योग मंत्री हैं, वहीं चिराग पासवान के पास खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय है। चिराग जहाँ इस फैसले के विरोध में हैं और समीक्षा याचिका तक दायर करने की बात कर रहे, माँझी ने खुल कर इसका समर्थन किया है।
जीतन राम माँझी ने कहा कि समाज नहीं बल्कि स्वार्थ के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले 74 वर्षों से केवल 4 जातियाँ ही आरक्षण का सारा लाभ ले रही हैं। उन्होंने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2011-12 के दौरान ही ये व्यवस्था कर दी थी कि और महादलित वर्ग तैयार किया था। उन्होंने याद किया कि कैसे तब उस वर्गीकरण को भी न्यायालय में चुनौती दी गई थी लेकिन न्यायपालिका ने इस फैसले को सही माना। उन्होंने कहा कि समाज में और भी जातियाँ हैं, सिर्फ पासवानों को आरक्षण नहीं मिलेगा।
जीतन राम माँझी ने कहा कि सिर्फ एक पीढ़ी को आरक्षण दिए जाने का फैसला सिर्फ एक जज की राय है और 7 जजों की पीठ में सामान्य राय नहीं है। उन्होंने याद किया कि बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर ने भी प्रत्येक 10 वर्ष में आरक्षण की समीक्षा की बात कही थी। बकौल जीतन राम माँझी, सुप्रीम कोर्ट ने इसी पर अमल किया है। उन्होंने कहा कि जो आगे बढ़ गए हैं उन्हें मत दबाइए, लेकिन जो पीछे रह गए हैं उन्हें आगे बढ़ाना ज़रूरी है। उन्होंने पूछा कि भुइयाँ, मेहतर, डोम और मुसहर समाज के कितने IAS-IPS हैं?
केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने चिराग पासवान को हड़काया: बोले- सिर्फ पासवान जाति को नहीं मिलेगा आरक्षण, समाज में और भी जातियां हैं.,चिराग को बताया स्वार्थी @jitanrmanjhi #Bihar #Biharnews #reservations #creamylayer pic.twitter.com/1T1PlEkP6P
— FirstBiharJharkhand (@firstbiharnews) August 5, 2024
जीतन राम माँझी की मानें तो ये फैसला 10 साल पहले ही आ जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि जिनकी साक्षरता दर काफी कम है उनकी अधिक सुविधाएँ मिलनी चाहिए। बता दें कि चिराग पासवान सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में हैं। तेलंगाना और कर्नाटक के अलावा तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की सरकारें भी इस फैसले का समर्थन कर चुकी हैं। हालाँकि, मायावती ने इसका विरोध किया है और आंदोलन की चेतावनी दी है। खासकर वाल्मीकि समाज में इस फैसले को लेकर जश्न का माहौल है।