शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे और देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में अराजकता और हिंदू विरोधी हिंसा फैल गई है। ऐसे में भारत के राजनीतिक गिद्धों को उम्मीद है कि यहाँ भी इसी तरह का ‘विद्रोह’ होगा। कुछ कॉन्ग्रेसी नेताओं ने बांग्लादेश की स्थिति की तुलना भारत में चल रहे काल्पनिक मोदी विरोधी ‘अंडरकरंट’ से करनी शुरू कर दी है। जिस बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना के आवास गोनो भवन पर धावा बोलकर लूटपाट की, उसी तरह की कल्पना वे भारत के लिए भी कर रहे हैं।
कॉन्ग्रेस के मुखर वक्ता मणिशंकर अय्यर ने 7 अगस्त को हिंसाग्रस्त बांग्लादेश की स्थिति की तुलना भारत से की। चुनावों के दौरान विपक्ष द्वारा लगाए गए ईवीएम हैकिंग के आरोपों को दोहराते हुए अय्यर ने इशारा किया कि भारतीय चुनाव किसी भी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं थे। उन्होंने कहा, “बांग्लादेशी विपक्षी दल इसलिए इससे दूर रहे क्योंकि उन्हें लगा कि यह प्रक्रिया न तो स्वतंत्र है और न ही निष्पक्ष।”
IANS Exclusive
— IANS (@ians_india) August 7, 2024
Delhi: On political crisis in Bangladesh, Former Minister and Congress leader Mani Shankar Aiyar says, "Despite economic growth, unemployment has increased significantly. There could be a comparison between their situation and ours…" pic.twitter.com/KEIgv0Rega
अपने अपमानजनक एवं पाकिस्तान परस्त बयानों के लिए कुख्याति अय्यर ने कहा कि भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति नहीं है। यहाँ विपक्ष स्वतंत्रता के साथ चुनावों में भाग लेता है, लेकिन कुछ चिंताएँ हैं और कुछ ‘संदेह’ उत्पन्न हुए हैं, जिसको लेकर कुछ समूहों द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में करीब 79 सीटों पर पहले एवं बाद के आँकड़ों में काफी अंतर है।
अय्यर ने दावा किया कि जिस तरह बांग्लादेश के लोगों के मन में वहाँ के चुनाव नतीजों को लेकर संदेह पैदा हुआ, उसी तरह कई भारतीयों को भी ‘गड़बड़ी’ का संदेह है। अय्यर ने कहा, “इस तरह की आशंकाएँ यहाँ अभी जताई गई हैं, लेकिन बांग्लादेश में ये चरम पर हैं।” उन्होंने बांग्लादेश से सबक लेने की बात कहते हुए कहा, “हम विकसित भारत होंगे, लेकिन क्या यह स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भारत होगा?”
जाहिर है कि मणिशंकर अय्यर के निराधार दावों की जड़ें एक संदिग्ध ऑनलाइन रिपोर्ट में हैं। हालाँकि, चुनाव आयोग ने हाल ही में इन दावों का खंडन किया था और कहा था कि ‘मानव जाति के इतिहास में अब तक हुए सबसे बड़े चुनावों को बदनाम करने के लिए कुछ लोगों (उम्मीदवारों के अलावा) द्वारा झूठा अभियान चलाया जा रहा है।”
भारतीय चुनाव आयोग ने कहा था, “इसके हर चरण में उम्मीदवारों/हितधारकों को शामिल किया गया है। मतदान के दिन शाम 7 बजे के (जब कई केेद्रों पर मतदान बंद हो रहे होते हैं और/या मतदाता कतार में प्रतीक्षा कर रहे होते हैं) अनुमानित मतदान के आँकड़े की तुलना मतदान के एक दिन बाद उपलब्ध ‘मतदान समाप्ति’ के आँकड़े से करने का निराधार प्रयास किया जा रहा है।”
While legitimate means to challenge an electoral outcome by a candidate or elector is through an Election Petition u/ RPA 1951, no EP is reportedly filed on such grounds.
— Election Commission of India (@ECISVEEP) August 4, 2024
A lesser number of EPs have been reportedly filed in 79 PCs in GE 2024 as against 138 EPs in GE 2019.
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चुनावी डेटा और नतीजे RPA की धाराओं के तहत वैधानिक रूपों और प्रक्रियाओं के अनुसार हैं। वहीं, किसी उम्मीदवार या मतदाता द्वारा चुनावी नतीजों को चुनौती देने का वैध तरीका RPA 1951 के तहत चुनाव याचिका के माध्यम से है। चुनाव आयोग ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 में 138 ईपी के मुकाबले लोकसभा चुनाव 2024 में 79 पीसी में कम संख्या में EP दायर किए गए हैं।
कॉन्ग्रेस नेता निराधार और दुर्भावनापूर्ण दावों का इस्तेमाल न केवल मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर हमला करने के लिए कर रहे हैं, बल्कि भारत में बांग्लादेश जैसी अराजकता को बढ़ावा देने के लिए भी कर रहे हैं। कॉन्ग्रेस नेता सज्जन वर्मा ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब लोग शेख हसीना की तरह पीएम मोदी के सरकारी आवास पर लोग धावा बोलेंगे। उन्होंने कहा, “पहले श्रीलंका में जनता अपने प्रधानमंत्री के आवास में घुस गई, फिर बांग्लादेश में और अब भारत का नंबर है।”
भारत में बांग्लादेश जैसे हालात चाहती है कांग्रेस… pic.twitter.com/wsGH944mbx
— BJP (@BJP4India) August 8, 2024
कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने भी धमकी दी है। एक पुस्तक विमोचन समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा, “कश्मीर में सब कुछ सामान्य लग सकता है। चुनाव परिणामों के बाद दिल्ली में भी सब कुछ सामान्य लग सकता है, लेकिन सच्चाई यह है कि सतह के नीचे कुछ और है। बांग्लादेश में जो हो रहा है, वह यहाँ भी हो सकता है। हमारे देश का विस्तृत भूभाग बांग्लादेश जैसी घटनाओं को होने से रोकता है।”
SHOCKING: "We disappointed young Muslims to the extent that they decided to take law & order in hand" says Salman Khurshid.
— BALA (@erbmjha) August 7, 2024
Congress leader justifies terrorist activities and attacks in Kashmir and India by Muslims. pic.twitter.com/vzzf2qSwfs
कॉन्ग्रेस नेताओं के इस तरह के बयान न केवल बेचैन करने वाले हैं, बल्कि स्थिर भारत में अशांति और अराजकता भड़काने की खतरनाक प्रवृत्ति का भी संकेत देते हैं। कॉन्ग्रेस की बयानबाजी उसकी बार-बार की राजनीतिक असफलताओं से निकली हताशा को दिखाती है। भारत के लोगों ने लगातार तीन चुनावों में मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को चुना है, जो नेतृत्व और नीतियों के मजबूत पसंद का संकेत है।
हालाँकि, भाजपा की सीटें कम जरूर हुई हैं, लेकिन लोकतंत्र में यह आश्चर्यजनक नहीं है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करने और रचनात्मक विपक्ष में भाग लेने के बजाय, कॉन्ग्रेस की धमकी लोकतंत्र को कमजोर करती है। जाति और क्षेत्रीय आधार पर देश में दरार पैदा करने की पूरी कोशिशों के बावजूद कॉन्ग्रेस अपनी सीटों की संख्या में कुछ ही इज़ाफा कर पाई है।
हालाँकि, कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए गठबंधन बड़ी बढ़त हासिल करने के बावजूद भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को नहीं हरा पाया। इसके बाद कॉन्ग्रेस लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को हटाने के लिए नागरिक विद्रोह की उम्मीद कर रही है। इस बीच, ‘मोहब्बत की दुकान’ के स्वयंभू मालिक एवं संचालक राहुल गाँधी ने अपनी पार्टी के नेताओं के भड़काऊ बयानों पर चुप्पी साध रखी है।