हर रोज राजधानी का बढ़ता AQI नए रिकॉर्ड बना रहा है। आनंद विहार में तो आज AQI ने 600 का आँकड़ा पार कर लिया था। वहीं बवाना में ये आज सुबह 406 के आसपास था।
#WATCH | Severe Air Pollution Alert!
— PB-SHABD (@PBSHABD) November 4, 2024
Delhi’s AQI has crossed 600, with areas like Anand Vihar experiencing the worst levels.
The overall pollution is a staggering 59 times above WHO limits, posing serious health risks.
Find the complete story on #PBSHABD. Free to sign up and… pic.twitter.com/w24l7wHHe0
दिल्ली सरकार और उसके मंत्री हर साल कहते हैं कि वो प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए प्रयास कर रहे हैं और जल्द स्थिति बेहतर होगी… लेकिन हकीकत यह है कि अगर प्रयास वाकई हो रहे होते तो पिछले 10 वर्षों में AQI का ग्राफ लगातार बढ़ नहीं रहा होता और न दिल्ली के हालात इतने गंभीर होते।
AQI.IN साइट के अनुसार दिल्ली में 4 नवंबर की सुबह दिल्ली का AQI 400 पार था और खबर लिखने तक प्रदूषण मामले में सबसे खराब स्थिति वाले शहरों में दिल्ली नंबर 1 पर आ गया है।
ऐसे गंभीर हालातों में दिल्ली सरकार एक्शन लेने के नाम पर दीवाली में पटाखों पर बैन लगाने जैसी कार्रवाई कर रही है या फिर दूसरे राज्य की सरकारों पर सारे प्रदूषण का ठीकरा फोड़ रही है। मगर इसका स्थायी निवारण क्या है इस पर कोई बात नहीं हो रही। अगर दीवाली पर फूटे पटाखों को दिल्ली के बढ़े प्रूषण का कारण मानते हैं तो फिर आपको 28 अक्तूबर (जब देश में दीवाली नहीं मनाई गई थी) का रिकॉर्ड देखना चाहिए। 28 अक्तूबर 2024 को दिल्ली का औसत एक्यूआई 356 रिकॉर्ड किया गया था जबकि दीवाली के अगले दिन औसत AQI 351 था।
इन दो आँकड़ों से ये बात तो स्पष्ट है कि पटाखे फोड़ने से वायु प्रदूषण होता जरूर है मगर इसका सीधा असर दिल्ली में बढ़ते AQI से बिलकुल नहीं है। क्योंकि अगर ऐसा होता तो दिल्ली में सामान्य दिन की आबो हवा से दीवाली की अगली सुबह में फर्क होता।
खैर! हर वर्ष दीवाली से पहले शायद पटाखे बैन करके आम आदमी पार्टी को ऐसा लगता हो कि वो युद्ध स्तर पर AQI कंट्रोल करने में लगे हुए हैं। जबकि रिजल्ट देख लगता है कि सरकार दिल्ली की हालत को सुधारने की जगह उसमें ढिलाई दिखाने में लगी हैं।
Delhi AQI is over 300.
— Ankush❁ (@TweetXAnkit) October 31, 2024
Already in hazardous range. You are already inhaling poison.
A spike in this wouldn’t change the situation much.
Now, dont blame diwali crackers. #Delhi #pollution pic.twitter.com/uSLGrQmLgM
कभी इसी सरकार ने स्वच्छता के मायनों में दिल्ली को लंदन जैसा बनाने की बात कही थी, मगर लापरवाही देख यह लगता है कि दिल्ली को लंदन-पेरिस बनाने के सपने देखने वाली सरकार ने लंदन को देख कुछ नहीं सीखा। अगर सीखा होता तो आज दिल्ली में दमघोंटू हवा नहीं चल रही होती।
1952 में लंदन में ऐसे ही प्रदूषण से इकट्ठा हुआ स्मॉग दिखाई दिया था। 4 दिन में इस कोहरे ने 2 लाख से ज्यादा लोगों को प्रभावित किया था और 12000 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। उस घटना ने लंदन को उनके पर्यावरण को लेकर सतर्क कर दिया और उसके बाद कभी वैसा धुआँ या कोहरा लंदन पर नहीं देखा गया। वहाँ ‘राइट टू क्लीन एयर’ कानून बना और लंदन समेत सभी यूरोपीय देशों ने वाकये से सीख ली।
In 1952, the Great Smog of London was so thick that buses couldn't run, and birds dropped from the sky.
— Historical Facts (@FactsBasedStory) November 3, 2024
The deadly smog engulfed the city for five days, causing transport chaos and serious health issues.
It was so dense that people couldn’t see their own feet on the sidewalks!… pic.twitter.com/tdkPFtpF0o
वहीं दिल्ली में हालात साल दर साल बदतर हो रहे हैं। शोध के नजरिए से देखें तो इसके कई कारण हैं जैसे जनसंख्या वृद्धि के कारण दिल्ली में बढ़ते वाहन और उनसे निकलने वाला धुआँ, औद्योगिक गतिविधियाँ, निर्माण कार्य, जलवायु परिवर्तन, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की संख्या आदि। अब दिल्ली सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए क्या कर रही है? इस पर कहीं कुछ स्पष्टता से नहीं बताया जा रहा है। लेकिन राजनैतिक आरोप-प्रत्यारोप लगातार जारी हैं। एक तरफ खबरों में आता है कि पराली जलाने का 93% प्रदूषण पंजाब से आता है तो सीएम आतिशी प्रेस के सामने दावा करती हैं कि उनकी सरकार आने के बाद पंजाब में पराली जलाने की संख्या कम हुई है।
ऐसा लगता है कि आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली की आबो-हवा सुधारने से ज्यादा बड़ा मुद्दा अपनी पार्टी की छवि सुधारने का है। हर बार एक्शन पर बात करने की जगह किसी अन्य राज्य पर सारा ठीकरा फोड़ना AAP की आदत हो गई है।
यह नज़ारा AAP के पंजाब का है, जहां पर पराली जलाने की घटनाएं लगातार जारी है,
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) October 26, 2024
और AAP की भ्रष्ट और निकम्मी सरकार दिल्ली में प्रदूषण के लिए दूसरे राज्यों को दोषी बताती है…गजब के धूर्त और मक्कार हैं ये आपिये pic.twitter.com/i8Atd3cjYO
ये बात सभी जानते हैं कि अगर प्रदूषण इतना बढ़ा है और हवा इतनी खराब हुई है तो प्रशासन शांति से नहीं बैठेगा। मगर सवाल यहाँ ये है कि जो कार्य दिल्ली सरकार प्रदूषण रोकने के लिए कर रही है… क्या वे काफी हैं या इसमें सख्ती की जरूरत और है। अगर जवाब ‘हाँ’ है तो सवाल उठता है कि अगर अभी तक उठाए कदम पर्याप्त हैं तो फिर बीते सालों में ठंड आते ही बढ़ने वाले प्रदूषण में फर्क क्यों नहीं दिखा और अगर जवाब ‘नहीं’ है तो फिर सवाल ये है कि बावजूद ये जानने के कि इनसे दिल्ली की हवाल नहीं सुधर रही या आगे कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे। क्या सिर्फ दूसरे राज्यों पर प्रदूषण का ठीकरा फोड़ने से दिल्ली की हालत सुधर जाएगी।
गौरतलब है कि मीडिया में अलग-अलग जगह से जानकारियाँ इकट्ठा करने पर पता चलता है प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली में GRAP-1 को लागू किया गया है। इसके अलावा प्रदूषण करने वाले वाहनों पर कार्रवाई हो रही है और साथ ही धूल को नियंत्रित करने के लिए मैकेनिकल रोड स्विपिंग मशीनें, पानी छिड़कने वाली मशीनें और एंटी स्मॉग गन का उपयोग किया जा रहा है।