चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका की असल आजादी क्या होती है, इसका मतलब हाल ही में समझा दिया। उन्होंने वापमंथी उमर खालिद को बेल ना मिलने पर उठने वाले सवालों का भी जवाब दे दिया। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी साफ़ कर दिया कि किसी जज के नेता के साथ दिखने से डील की बात करना गलत है और ऐसा नहीं होता।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह सारी बातें अपनी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के एक कायर्क्रम में कहीं। उन्होंने यहाँ न्यायपालिका की आजादी, उसके दिए फैसलों पर लोगों के सवाल और साथ ही कोलेजियम को लेकर भी बात की है।
क्या होती है न्यायपालिका की आजादी?
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने समझाया कि न्यायपालिका की असल आजादी का मतलब सिर्फ सरकार के दखल से ही बल्कि उन लोगों से भी है जो सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सहारे अपने नैरेटिव के अनुसार निर्णय न्यायपालिका से चाहते हैं। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “अब आप कई समूह ऐसे पाते हैं जिनका कहना है कि अगर आप मेरे पक्ष में निर्णय दोगे तब तो आप स्वतंत्र हैं और अगर आप मेरे पक्ष में निर्णय नहीं करते तो हम नहीं मानेंगे कि आप निष्पक्ष हो।”
CJI Chandrachud:
— The Analyzer (News Updates🗞️) (@Indian_Analyzer) November 5, 2024
"Independence of Judiciary doesn't mean constantly deciding against Govt. It also means Independence from "PRESSURE GROUPS", & "INTEREST GROUPS."
~ If you decide on ELECTORAL BONDS, you are very Independent but if verdict favours the Govt, you're not?"🔥👌 pic.twitter.com/MqlDi6arR1
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि असल आजादी का मतलब यह है कि जज वह निर्णय देने में स्वतंत्र हो जो उसकी अंतरात्मा की आवाज उन्हें बताती है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसका उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा, “जब हमने इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला दिया तो कहा गया कि न्यायपालिका स्वतंत्र है लेकिन अगर कोई फैसला सरकार के पक्ष में जाए तो अप स्वतंत्र नहीं हो, ऐसा कहा जाता है। ये मेरी आजादी की परिभाषा नहीं है।”
गौरतलब है कि वामपंथी और लिबरल गैंग लगातार EVM और अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों पर उनके मन मुताबिक़ फैसला ना देने पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ पर हमला बोलते रहे हैं। वह सुप्रीम कोर्ट पर भी प्रश्न उठाते रहे हैं। यही रुख इस गैंग ने राम मंदिर पर दिए गए निर्णय में भी अपनाया है। इस गैंग में पत्रकार, लेखक, फिल्मकार और वामपंथी नेता शामिल हैं। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने एक बयान से इस गैंग का ‘कैंसिल कल्चर’ का नैरेटिव ध्वस्त कर दिया है।
अर्नब से लेकर जुबैर को दी जमानत
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस दौरान जमानत को लेकर उठने वाले सवालों को भी शांत कर दिया। जब चीफ जस्टिस से पूछा गया कि जमानत मिलने को लेकर उनके क्या विचार हैं तो उन्होंने कहा कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है, इसका निचली अदालतों अभी पूरी तरीके से पालन नहीं कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि मैंने A से लेकर Z तक सबको जमानत दी है। A से उनका मतलब पत्रकार अर्नब गोस्वामी जबकि Z से मतलब मोहम्मद जुबैर से था, जो कि लगातार फैक्टचेक के नाम पर प्रोपेगेंडा फैलाता रहता है। उन्होंने कहा कि यही उनकी सोच है।
CJI Chandrachud (on Umar Khalid's Bail):
— The Analyzer (News Updates🗞️) (@Indian_Analyzer) November 5, 2024
"I've granted bail from A to Z- Arnab to Zubair. There is an ordered procedure.
~ Someone directly approaches Supreme Court only because they're RESOURCED with CERTAIN LAWYERS. We won't make EXCEPTIONS. First approach Lower court."🔥👌 pic.twitter.com/21Hglg8DYI
उन्होंने कुछ आँकड़े भी बताए। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस दौरान बताया कि उनके कार्यकाल के दौरान 21000 से अधिक जमानत के मामले निपटाए जा चुके हैं। उन्होंने यहाँ पर दिल्ली दंगों में अपनी भूमिका के कारण जेल में बंद उमर खालिद की जमानत पर भी बात की।
उन्होंने कहा कि जमानत देते टाइम केस कितना लंबा चलेगा, आरोपित छूटने के बाद कहीं सबूतों से छेड़छाड़ तो नहीं करेगा और बाकी चीजें देखी जाती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किसी के पास पैसे और अच्छे वकील हैं इसका मतलब यह नहीं है कि मामला व्यवस्था से इतर जाएगा, हम इसी लिए मामलों को वापस निचली अदालत में भेज देते हैं।
हर बैठक डील नहीं होती: चंद्रचूड़
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने उनकी हाल की प्रधानमंत्री मोदी के साथ फोटो और उनकी अयोध्या में राम मंदिर जाने को लेकर हो रही आलोचना को शांत कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का उनके घर गणपति के मौके पर आना कुछ गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि जजों और नेताओं के बीच ऐसी मुलाकातें होती रहती हैं।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों के काम को उनके द्वारा लिखे गए निर्णयों से तोला जाना चाहिए ना कि वह क्या कहते हैं और किसके साथ दिखते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के अलावा उस फोटो में वह कोई नेता अथवा जज रखने का समर्थन इसलिए नहीं करते क्योंकि यह कोई CBI डायरेक्टर के चुनाव की मीटिंग नहीं थी।
उन्होंने साफ़ किया कि ऐसी बैठकों में कोई डील नहीं होती और लोगों को जजों पर विश्वास रखना चाहिए। गौरतलब है कि इससे पहले भी एक कॉलेज में एक संबोधन के दौरान उन्होंने यही बात कही थी। उनके इस जवाब से उनकी पीएम मोदी के साथ पूजा वाली फोटो पर प्रश्न उठाने वालों का मुंह बंद हो गया है।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ आगामी 10 नवम्बर, 2024 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनकी जगह पर जस्टिस संजीव खन्ना देश के नए चीफ जस्टिस होंगे।