उन्होंने सीएनएबीसी टीवी 18 के ग्लोबल लीडरशिप समिट के मंच से बात करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि इस देश में लोगों को कठिन परिश्रम करना बहुत जरूरी है क्योंकि कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। मैं माफी चाहता हूँ। मैंने अपना ओपिनियन नहीं बदला है। मैं इस विचार को अपनी कब्र तक लेकर जाऊँगा। मुझे इतना कठिन परिश्रम करने पर बहुत ज्यादा गर्व है।”
गौरतलब है कि नारायण मूर्ति ने अक्तूबर 2023 में एक पॉडकास्ट पर कहा था कि भारत की कार्य उत्पादकता दुनिया में सबसे कम है। उन्होंने भारतीय युवाओं को सलाह दी कि उन्हें हर हफ्ते 70 घंटे काम करना चाहिए, ताकि वे चीन जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें।
मूर्ति के इस बयान पर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आईं। कुछ उद्योगपतियों, जैसे JSW ग्रुप के चेयरमैन सज्जन जिंदल और ओला कैब्स के CEO भाविश अग्रवाल ने उनके विचारों का समर्थन किया। जिंदल ने कहा कि भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए अधिक मेहनत की आवश्यकता है, जबकि अग्रवाल ने कहा कि यह समय आराम करने का नहीं है। दूसरी ओर, लेखक चेतन भगत और व्यवसायी अशनीर ग्रोवर ने इस विचार का विरोध किया। उनका कहना था कि काम की मात्रा से ज्यादा उसकी गुणवत्ता महत्वपूर्ण है।
#CNBCTV18GlobalLeadershipSummit 🎥 | 💬 "I don't believe in work-life balance," says Narayana Murthy, co-founder of Infosys, as he defends his stance on the famous 70-hour work week at CNBC TV18's Global Leadership Summit. #WorkEthic #Leadership #NarayanaMurthy… pic.twitter.com/IHm6uobiLS
— Moneycontrol (@moneycontrolcom) November 15, 2024
बता दें कि नारायण मूर्ति ने अपने शुरुआती करियर के दौरान 70 से 90 घंटे प्रति सप्ताह काम करने का अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता ने उन्हें सिखाया था कि गरीबी से बचने का एकमात्र तरीका कड़ी मेहनत करना है। मूर्ति ने कहा कि जब तक युवा अधिक मेहनत नहीं करेंगे, तब तक भारत अन्य विकसित देशों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकेगा।