Sunday, December 22, 2024
Homeदेश-समाज7 साल की बच्ची से रेप किया, पत्थर से सिर कुचलकर लाश रेलवे लाइन...

7 साल की बच्ची से रेप किया, पत्थर से सिर कुचलकर लाश रेलवे लाइन पर फेंका… हाई कोर्ट ने मौत की सजा उम्र कैद में बदल दी, कहा- पिछड़ी जाति से है, सुधर सकता है

हाई कोर्ट ने कहा, "रिकॉर्ड पर ऐसा कोई सबूत नहीं है कि दोषी का सुधार या पुनर्वास नहीं किया जा सकता है क्योंकि अपराध के समय उसकी उम्र लगभग 29 साल थी और वह अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का व्यक्ति है, इस प्रकार वह पिछड़े समुदाय से जुड़ा है और उसके सुधार की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।"

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक शख्स की फांसी की सजा को खत्म कर दिया है। उसे एक 7 वर्षीय बच्ची का रेप और हत्या करने के मामले में यह सजा सुनाई गई थी। हाई कोर्ट ने कहा है कि फांसी की सजा पाने वाला शख्स पिछड़ी जाति (OBC) से ताल्लुक रखता है, इसलिए उसके सुधरने की संभावना को नकारा नहीं जा सकताखत्म

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद ने 26 नवम्बर, 2024 को रेप और हत्या के दोषी दीपक बघेल के मामले में यह फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने इसी के साथ निचली अदालत के फैसले को बदल दिया और फांसी पर अपनी सहमति देने से मना कर दिया।

हाई कोर्ट ने क्या कहा?

हाई कोर्ट ने कहा, “रिकॉर्ड पर ऐसा कोई सबूत नहीं है कि दोषी का सुधार या पुनर्वास नहीं किया जा सकता है क्योंकि अपराध के समय उसकी उम्र लगभग 29 साल थी और वह अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का व्यक्ति है, इस प्रकार वह पिछड़े समुदाय से जुड़ा है और उसके सुधार की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।”

हाई कोर्ट ने बच्ची की हत्या और रेप को गंभीर में भी गंभीरतम अपराध नहीं माना। हाई कोर्ट ने कहा कि मामले के सबूतों और घटनाओं को देख कर नहीं लगता कि यह ऐसा मामला है जिसमें फांसी की सजा दी जाए। कोर्ट ने कहा है कि आजीवन कारावास की सजा इस मामले में न्याय के लिए काफी होगी। हाई कोर्ट ने दीपक बघेल की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया और उस पर लगाया गया ₹20,000 का जुर्माना बरकरार रखा है।

क्या था मामला?

यह मामला छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव का है। यहाँ 2021 में दीपक बघेल नाम के एक शख्स अपने पास की एक 7 वर्षीय बच्ची को झांकी दिखाने के बहाने से ले गया था। वह उसके भाई को भी ले गया था। उसने बाद में उसके भाई को झांकी में ही छोड़ दिया जबकि बच्ची को सूनसान जगह ले गया।

यहाँ उसने जबरदस्ती बच्ची के साथ रेप किया। इसके बाद उसने बच्ची के सर पर एक भारी पत्थर मार कर हत्या कर दी। सबूत मिटाने के लिए उसने बच्ची के शव को ट्रेन की पटरियों पर फेंक दिया। इसके कारण उसका शव क्षत-विक्षत हो गया। बच्ची का रेप-हत्या करने के दीपक बघेल अपने घर से भाग गया।

बच्ची का शव मिलने के बाद उसके पिता ने एक FIR दर्ज करवाई थी। दीपक बघेल को इसके बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उसके घर से पुलिस को बच्ची का ब्रेसलेट और उसकी खून लगी शर्ट मिली थी। हालाँकि, पुलिस से उसने पूछताछ में खुद के निर्दोष होने की बात कही और आरोप लगाया कि उसे फंसाया गया है।

पुलिस ने अपनी जाँच के बाद उसके खिलाफ अपहरण, रेप, हत्या और POCSO एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया था। निचली अदालत में अधिकांश आरोप सही पाए आगे और यहाँ उसे मौत की सजा सुनाई गई। इसके साथ ही उस पर ₹20000 का जुर्माना लगाया गया।

निचली अदालत में जज ने इस मामले को गंभीर में भी गंभीरतम अपराध पाया और मौत की सजा को सही ठहराया। निचली अदालत ने इसके बाद मौत की सजा को अनुमति देने का मामला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट भेजा था। इसी के साथ मौत की सजा समेत बाकी सजाओं के खिलाफ दीपक बघेल ने भी हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

हाई कोर्ट ने दोनों मामलों को एक साथ सुना। हाई कोर्ट के सामने दीपक बघेल ने दावा किया कि वह निर्दोष है और पुलिस इस मामले में सही सबूत नहीं पेश नहीं कर सकी है। दीपक बघेल ने जेल में अपने अच्छे आचरण के चलते फांसी की सजा हटाने की माँग भी की। हाई कोर्ट ने उसकी दलीलों को मानने से इनकार कर दिया लेकिन मौत की सजा को सही नहीं माना।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।

जिस संभल में हिंदुओं को बना दिया अल्पसंख्यक, वहाँ की जमीन उगल रही इतिहास: मंदिर-प्राचीन कुओं के बाद मिली ‘रानी की बावड़ी’, दफन थी...

जिस मुस्लिम बहुल लक्ष्मण गंज की खुदाई चल रही है वहाँ 1857 से पहले हिन्दू बहुतायत हुआ करते थे। यहाँ सैनी समाज के लोगों की बहुलता थी।
- विज्ञापन -