Sunday, December 22, 2024
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6 हुड़दंगी किसान घायल, हरियाणा पुलिस ने दागे आँसू गैस के 21 गोले, चलाई प्लास्टिक की गोलियाँ भी: शंभू बॉर्डर पर उत्पात मचाते किसानों से पुलिस की झड़प

शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और अन्य माँगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों ने 'दिल्ली चलो' आंदोलन के तहत पैदल मार्च की घोषणा की थी।

पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार (6 दिसंबर 2024) को दिल्ली कूच के लिए निकले किसानों का पहला जत्था पुलिस द्वारा रोके जाने पर आक्रोशित हो उठा। किसानों ने बैरिकेड तोड़ते हुए आगे बढ़ने की कोशिश की, जिसके जवाब में हरियाणा पुलिस ने आँसू गैस के 21 गोले दागे। इसके अलावा प्लास्टिक की गोलियों का भी इस्तेमाल किया गया, जिसमें छह किसान घायल हो गए।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, फरवरी से शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और अन्य माँगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन के तहत पैदल मार्च की घोषणा की थी। इस बार 101 किसानों का पहला जत्था बिना ट्रैक्टर-ट्रॉली के दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहा था। पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेड्स, कंटीले तार और लोहे की कीलें लगाई थीं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोपहर करीब एक बजे किसान आगे बढ़ने लगे और बैरिकेड्स को तोड़ दिया। इस पर पुलिस ने आँसू गैस के गोले छोड़े और प्लास्टिक की गोलियाँ दागी। पुलिस का कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाना पड़ा। मौके पर तैनात अर्धसैनिक बल और ड्रोन से स्थिति पर नजर रखी जा रही है।

अब तक छह किसान घायल हुए हैं, जिनमें दो को आँसू गैस के गोले और चार को प्लास्टिक की गोलियों से चोटें आई हैं। एक प्रदर्शनकारी को पुलिस ने हिरासत में लिया है। शंभू बॉर्डर और आसपास के इलाकों में इंटरनेट सेवाएँ 9 दिसंबर तक के लिए बंद कर दी गई हैं। प्रशासन का कहना है कि इससे अफवाहों पर लगाम लगेगी और कानून-व्यवस्था बनाए रखना आसान होगा।

किसान नेताओं ने इसे शांतिपूर्ण मार्च बताया और हरियाणा प्रशासन द्वारा उन्हें रोकने की निंदा की। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “हम अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। यह आंदोलन शांतिपूर्ण है, लेकिन हमें जानबूझकर भड़काने की कोशिश की जा रही है।”

वहीं, हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा, “किसानों को दिल्ली जाने की अनुमति नहीं दी गई है। बिना अनुमति के उन्हें आगे बढ़ने देना कानून का उल्लंघन है।” अंबाला प्रशासन ने धारा 144 लागू कर पाँच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी है।

ये हैं माँगें…

किसान अन्य माँगों के अलावा फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी के लिए दबाव बना रहे हैं। उनकी माँगों की सूची में बिजली दरों में बढ़ोतरी पर रोक, 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय और किसानों और मजदूरों की आजीविका में सुधार के लिए अतिरिक्त सुधार भी शामिल हैं। किसान संगठन 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने की भी माँग कर रहे हैं।

राज्यसभा में कृषि मंत्री का बड़ा ऐलान

दूसरी तरफ केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा ऐलान कर दिया है। शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि पीएम मोदी सरकार सभी कृषि उपजों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री चौहान ने प्रश्नकाल के दौरान किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए यह आश्वासन दिया है। इसके पहले शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि ढाई गुना और 3 गुना एमएसपी बढ़ाया है तो नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने बढ़ाया है और जब उधर (विपक्ष) की सरकार थी तो ये खरीदते नहीं थे, केवल एमएसपी घोषित करते थे।

इस बीच, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा, “किसानों के लिए अपने मुद्दों पर बातचीत करने के लिए दरवाजे खुले हैं। मैं भी उनका भाई हूँ और अगर वे आना चाहते हैं तो दरवाजे खुले हैं, अगर वे चाहते हैं कि हम उनके पास जाएँ तो हम उनके बीच जाकर बातचीत करेंगे।”

शंभू बॉर्डर पर स्थिति तनावपूर्ण

शंभू बॉर्डर पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। पुलिस लगातार वीडियोग्राफी कर रही है और किसानों को शांत रहने की अपील कर रही है। हालाँकि, किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। अंबाला के कई इलाकों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर यातायात बाधित है। किसान नेताओं का कहना है कि यह आंदोलन लंबा चलेगा और वे अपनी माँगें पूरी करवाकर ही वापस लौटेंगे। किसानों का आंदोलन और दिल्ली कूच की कोशिश ने शंभू बॉर्डर पर हालात को जटिल बना दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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