Sunday, December 22, 2024
Homeदेश-समाज'ला इलाहा इल्लल्लाह = अल्लाह के अलावा कोई दूसरा भगवान नहीं': जामिया मिलिया इस्लामिया...

‘ला इलाहा इल्लल्लाह = अल्लाह के अलावा कोई दूसरा भगवान नहीं’: जामिया मिलिया इस्लामिया में फिर लगा नारा, प्रदर्शन करने वाले वामपंथी+कॉन्ग्रेसी छात्र

15 दिसंबर 2024 को सीएए-एनआरसी विरोध प्रदर्शन के 5 साल हुए। ऐसे में 15 दिसंबर 2024 यानी रविवार को जामिया के प्रशासन ने रखरखाव का हवाला देते हुए कक्षाएँ निलंबित कर दी थीं और दोपहर 1 बजे से कैंटीन व लाइब्रेरी भी बंद थी। मगर छात्र ये सूचना पाकर प्रशासन पर शांतिपूर्ण विरोध को दबाने का इल्जाम लगाने लगे।

दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में एक बार फिर से नारेबाजी की घटना सामने आई है। ये नारेबाजी सीएए-एनआरसी विरोध प्रदर्शनों की 5वीं बरसी के एक दिन बाद कैंपस में सुनाई पड़ी। 15 दिसंबर 2019 को भी इसी तरह की पहले नारेबाजी हुई थी उसके बाद कैंपस में प्रदर्शन और बाद में हिंसा देखी गई थी।

ऑर्गनाइजर की पत्रकार सुभुही विश्वकर्मा के अकॉउंट से शेयर की गई वीडियोज में देख सकते हैं कि एक बार फिर से वहाँ- “तेरा-मेरा रिश्ता क्या, ला इलाहा इल्लल्लाह और हम क्या चाहते? आजादी” जैसे नारे सुनाई पड़े।

पत्रकार ने पूछा कि क्या ऐसी नारेबाजी एक केंद्र द्वारा फंड दिए जा रहे इंस्टीट्यूट में होनी चाहिए? उन्होंने बताया कि ये प्रदर्शनकारी छात्र AISA और NSUI के हैं। क्या इसे देख समझा जाए कि आगे कोई ‘शाहीन बाग’ भी होगा।

ऑर्गनाइजर की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार (15 दिसंबर 2024) को प्रशासन ने रखरखाव का हवाला देते हुए कक्षाएँ निलंबित कर दी थीं और दोपहर 1 बजे से कैंटीन व लाइब्रेरी भी बंद थी। मगर छात्र ये सूचना पाकर प्रशासन पर शांतिपूर्ण विरोध को दबाने का इल्जाम लगाने लगे।

कुछ वीडियोज भी सामने आई हैं जिसमें ‘दिल्ली पुलिस वापस जाओ’ जैसे नारे लगाते हुए भी छात्रों को दिखाया गया है। इसके अलावा AISA की ओर से एक बयान भी जारी किया गया है जिसमें कहा गया, “15 दिसंबर 2019 को दिल्ली पुलिस ने हमारे साथियों को घायल कर दिया था, कैंपस में तोड़फोड़ की थी, हमारे साथ आतंकियों जैसा व्यवहार किया था और अब हमें उस भयावह दिन को याद करने से भी रोका जा रहा है।”

इन वीडियो को देखने के बाद आम लोग माँग करने लगे हैं कि अगर सरकार द्वारा दिए फंड से चल रहे संस्थान में यही सब होना है तो इस संस्थान को ही बंद कर दिया जाना चाहिए।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।

जिस संभल में हिंदुओं को बना दिया अल्पसंख्यक, वहाँ की जमीन उगल रही इतिहास: मंदिर-प्राचीन कुओं के बाद मिली ‘रानी की बावड़ी’, दफन थी...

जिस मुस्लिम बहुल लक्ष्मण गंज की खुदाई चल रही है वहाँ 1857 से पहले हिन्दू बहुतायत हुआ करते थे। यहाँ सैनी समाज के लोगों की बहुलता थी।
- विज्ञापन -