शनिवार (नवंबर 23, 2019) को महाराष्ट्र बड़े राजनीतिक उलटफेर का गवाह बना। तमाम अटकलों और कयासों के बीच राज्य में भारतीय जनता पार्टी सरकार गठन में कामयाब हो गई है। बीजेपी नेता देवेंद्र फड़णवीस ने दोबारा सीएम पद की शपथ ली है। वहीं, एनसीपी नेता अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद पद की शपथ ली है। सुबह करीब आठ बजे राजभवन में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दोनों नेताओं को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
BJP-NCP govt in Maharashtra takes charge after President’s Rule revoked at 5.47 am on Saturday: Notification.
— Press Trust of India (@PTI_News) November 23, 2019
राज्य में बीजेपी और एनसीपी की गठबंधन सरकार बनने के बाद अब राज्य से राष्ट्रपति शासन हटा दिया गया है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी अधिसूचना में बताया गया है कि सुबह 5:47 बजे इसे खत्म कर दिया गया।
The notification revoking President’s rule in Maharashtra pic.twitter.com/JSbAIOFUE6
— ANI (@ANI) November 23, 2019
जैसा कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं जलमार्ग विकास मंत्री नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र की राजनीति पर इशारों में बड़ा बयान देते हुए कहा था कि राजनीति और क्रिकेट में कुछ भी हो सकता है। राजनीति और क्रिकेट में कुछ असंभव नहीं, वैसा ही आज सुबह देखने को मिला। उन्होंने कहा था कि कई बार आपको लगता है कि आप मैच हार रहे हैं लेकिन नतीजा उसके ठीक उलट होता है। उन्होंने इस तरफ इशारा भी किया था कि महाराष्ट्र में किसकी सरकार बनेगी, इसके बारे में वो नहीं बता सकते।
कहाँ तो आज शनिवार को शिवसेना-एनसीपी-कॉन्ग्रेस के नेताओं की ओर से महाराष्ट्र में नई सरकार का ऐलान होना था। इन तीनों दलों के नेता राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा भी पेश करने वाले थे, लेकिन शनिवार सुबह बीजेपी ने ऐसी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की, जिससे शिवसेना और कॉन्ग्रेस तो क्या, जिसने सुना, हैरान रह गया। बता दें कि शुक्रवार (नवंबर 22, 2019) को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने तीन दिवसीय सम्मेलन के लिए दिल्ली की अपनी सप्ताहांत यात्रा रद्द कर दी और मुंबई में ही रहने का फैसला किया।
किसी को अंदाजा नहीं लग पाया कि आखिर शुक्रवार रात को ऐसी कौन सी खिचड़ी पकी कि शनिवार सुबह होते-होते वहाँ बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बन गई। लोगों का कहना है कि महाराष्ट्र में बीजेपी ने खिचड़ी तभी से पकानी शुरू कर दी थी, जब पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा की 250वें सत्र में एनसीपी के बारे में तारीफ के पुल बाँधे थे।
लोग तो यह भी कह रहे हैं कि यह पीएम नरेंद्र मोदी की सोची-समझी रणनीति थी। उसके बाद एनसीपी नेता शरद पवार ने बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से संसद भवन में मुलाकात की थी। अब तीन दिन बाद उस मुलाकात का जो रिजल्ट आया है, उससे कॉन्ग्रेस का डर सही प्रतीत हो रहा है।
दरअसल कॉन्ग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह से शरद पवार की मुलाकात की टाइमिंग पर सवाल उठाए थे। शायद कॉन्ग्रेस समझ गई थी कि महाराष्ट्र में राजनीति जिस मोड़ पर है, वैसे में पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले गृह मंत्री से शरद पवार की मुलाकात से बाजी पलट सकती है।
बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में क्या कुछ होना है, यह सब परदे के पीछे चल रहा था। सामने शरद पवार, उद्धव ठाकरे के नाम पर कॉन्ग्रेस को एकमत करने में जुटे थे और पर्दे के पीछे अजित पवार के नेतृत्व में काम चल रहा था। शरद पवार कॉन्ग्रेस और एनसीपी से बात कर रहे थे तो एनसीपी की बी टीम बीजेपी के संपर्क में थी। एनसीपी ने आखिरकार बीजेपी के साथ जाना मुनासिब समझा। जैसा कि अजीत पवार ने बताया, तीन दलों के गठबंधन से बेहतर था बीजेपी के साथ जाकर स्थिर सरकार बनाएँ। उन्होंने किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला लिया।
सीएम फडणवीस ने राष्ट्रवादी पार्टी के नेता अजित पवार को साथ आने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके साथ कई अन्य लोग भी आए। जिसके बाद उन्होंने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया। फड़णवीस ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल से राष्ट्रपति जी से अनुशंसा की कि वह राष्ट्रपति शासन वापस लें। इसके बाद राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का न्यौता दिया और उन्होंने एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाया। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वो महाराष्ट्र में स्थिर और स्थाई सरकार दे पाएँगे।