कलकत्ता हाई कोर्ट बना 1862 में। लेकिन यहां के सबसे पुराने पेंडिंग केस की बात करें तो यह लगभग 219 साल पुराना है। चौंक गए! लाज़िमी भी है। क्योंकि जिस पेंडिंग केस AST/1/1800 की बात यहाँ की जा रही है, वो साल 1800 में दर्ज़ की गई थी। यह आंकड़ा सरकारी है – नेशनल जूडिशियल डेटा ग्रिड का।
कलकत्ता हाई कोर्ट भारत का पहला हाई कोर्ट था। 1 जुलाई 1862 में जब इसकी स्थापना हुई, तब इसे फोर्ट विलियम हाई कोर्ट के नाम जाना जाता था। इसका मतलब यह हुआ कि जिस ‘ऐतिहासिक’ केस AST/1/1800 की बात इस ख़बर में की जा रही है, वो साल 1800 में किसी लोअर कोर्ट में दर्ज़ की गई होगी।
निचली अदालतों में लगभग 170 साल ख़ाक छानने के बाद 1 जनवरी 1970 को यह ‘ऐतिहासिक’ केस AST/1/1800 कलकत्ता हाई कोर्ट में रजिस्टर किया गया। अफ़सोस, हाई कोर्ट में भी इसे पिछले 49 साल से तारीख़ पे तारीख़ ही नसीब हुई। इस केस में आखिरी सुनवाई 20 नवंबर 2018 को हुई थी।
नेशनल जूडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG) एक सरकारी वेबसाइट है। यहाँ देश भर की अदालतों के पेंडिंग केसों की जानकारी आपको एक क्लिक पर उपलब्ध हो जाती है।
NJDG के चौंकाने वाले आंकड़े:
- देश भर की कुल पेंडिंग केसों की संख्या 2.94 करोड़
- देश की 24 हाई कोर्ट में करीब 49 लाख केस पेंडिंग
- 2.44 लाख पेंडिंग केस के साथ कलकत्ता हाई कोर्ट सबसे ऊपर
- देश की सभी हाई कोर्ट में 10 लाख से ज्यादा केस, जो 10-30 साल से पेंडिंग
- सभी केसों को खत्म होने में लगेंगे 324 साल (सरकारी सर्वे)