कर्नाटक कॉन्ग्रेस के विधायक डीके शिवकुमार ने रामनगर के कनकपुरा तालुक के Harobele गाँव में कपालीबेटा में क्रिसमस के मौक़े पर दुनिया की सबसे ऊँची, 114 फीट की ईसा मसीह की मूर्ति का शिलान्यास किया।
ख़बर के अनुसार, जीसस की यह प्रतिमा कपालीबेटा में स्थापित होगी जहाँ डीके शिवकुमार को राज्य सरकार द्वारा जीसस की प्रतिमा के लिए 10 एकड़ ज़मीन मिली थी। क्रिसमस के अवसर पर, डीके शिवकुमार ने ट्रस्ट को ज़मीन से संबंधित दस्तावेज़ सौंपे जो इस प्रतिमा को स्थापित करने की ज़िम्मेदारी संभालेंगे। इस प्रतिमा का निर्माण हार्ड ग्रेनाइट से होगा।
कथित तौर पर, प्रतिमा की कुल ऊँचाई 114 फीट होगी और शिलान्यास की प्रक्रिया ईसा मसीह के दाहिने पैर की पूजा करके की गई थी। क्राइस्ट द रिडीमर प्रतिमा रियो डी जनेरियो की ऊँचाई 98 फीट है और ब्राजील में 26 फीट है।
Harobele गाँव की लगभग 99 फ़ीसदी आबादी ईसाई है। उन्होंने शिवकुमार और उनके भाई डीके सुरेश के प्रति आभार व्यक्त किया, जो बैंगलोर ग्रामीण से सांसद हैं। शिलान्यास के दौरान एमएलसी एस रवि, चिन्नाराजू जो ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व करते हैं, वो भी अन्य लोगों के साथ उपस्थित थे।
कर्नाटक कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक डीके शिवकुमार वर्तमान में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ज़मानत पर बाहर हैं। उन्हें इस मामले के संबंध में चार दिनों की पूछताछ के बाद 3 सितंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ़्तार किया था। ईडी ने गिरफ़्तार करने के बाद उनसे 14 दिन तक लगातार पूछताछ की थी। इसके बाद, 17 सितंबर को दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें 1 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इसके बाद 30 सितंबर को उनकी ज़मानत याचिका पर सुनवाई हुई, उस समय कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई 14 अक्टूबर तक के लिए टाल दी थी।
ग़ौरतलब है कि ईडी ने शिवकुमार और उनके परिवार से जुड़े 317 खातों का ज़िक्र किया था जिनके माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग की घटना अंजाम दिया गया था। प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत को बताया था कि शिवकुमार की कई संपत्तियाँ बेनामी हैं और 317 बैंक खातों के जरिए धन शोधन किया गया है। ईडी ने कहा था कि शिवकुमार के ख़िलाफ़ जाँच के अनुसार, शोधित धन 200 करोड़ रुपए से अधिक थी और क़रीब 800 करोड़ रुपए मूल्य की बेनामी संपत्ति थी।
कर एजेंसियों ने शिवकुमार और उनके साथ जुड़े चार अन्य लोगों के ख़िलाफ़ आयकर अधिनियम, 1961 की धारा-277 और 278 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-120 (बी), 193 और 199 के तहत मामले दर्ज किए थे।