उत्तर प्रदेश का कानपुर देश की आज़ादी के समय क्रांतिकारियों का गढ़ रहा। लेकिन, बीते कुछ सालों में इस शहर से कई आतंकी पकड़े जा चुके हैं। शुक्रवार को ही कानपुर की ही एक मस्जिद से मुम्बई बम धमाकों के मास्टर माइंड डॉक्टर जलीस अंसारी को यूपी पुलिस ने गिरफ़्तार किया। 50 से ज्यादा धमाकों में शामिल रहा यह आतंकी परोल पर जेल से बाहर आया था। परोल खत्म होने से पहले ही वह मुंबई से गायब हो गया और अगले दिन कानपुर में पकड़ा गया।
उसने पुलिस को बताया कि अपने 30 वर्ष पुराने दोस्तों से मदद लेने के लिए वह कानपुर आया था। इसमें से एक की मौत हो गई थी और दूसरा अब कानपुर में नहीं रहता। कानपुर से पकड़ा गया जलीस पहला आतंकी नहीं है। पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी के एजेंट भी यहॉं से पकड़े जा चुके हैं। आतंकी संगठनों के लिए फंड इकट्ठा करने वाले रमेश शाह के तार भी इस शहर से जुड़े थे।
सात मार्च 2017 को कानपुर में आइएस के खुरासान मॉड्यूल की गतिविधियाँ पुलिस के सामने आई थी। उसी दिन भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में धमाका हुआ था और जाजमऊ के गिरोह का नाम सामने आया था। जाँच में इस गिरोह के सदस्य आइएस के खुरासान मॉड्यूल के एजेंट निकले। दो दिन बाद ही एटीएस ने इनमें से एक आतंकी सैफुल्लाह को लखनऊ में मुठभेड़ में मार गिराया था।
इससे पहले सितंबर 2009 को आइएसआइ एजेंट इम्तियाज सचेंडी से पकड़ा गया था। सितंबर 2009 में बिठूर से आइएसआइ एजेंट वकास गिरफ्तार किया गया। सितंबर 2011 को आइएसआइ एजेंट फैसल रहमान उर्फ गुड्डू को एटीएस ने रेलबाजार से गिरफ्तार किया। जुलाई 2012 में सेंट्रल स्टेशन से फिरोज पकड़ा गया। अप्रैल 2014 में पटना में विस्फोट के एक संदिग्ध को पनकी स्टेशन के पास एटीएस ने पकड़ा।
कानपुर शहर से पकड़े गए इन आतंकियों से एक बात तो साफ़ है कि आतंकियों को शहर में पनाह ही नहीं, बल्कि वैचारिक और आर्थिक रूप से सपोर्ट भी मिल रहा है। बीते दिनों शहर में सीएए के विरोध के नाम पर पुलिस पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंके गए थे।