देश में लगातार और तेजी से बढ़ती जनसंख्या से चिंतित बीजेपी के एक सांसद ने शुक्रवार को राज्यसभा में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की माँग उठाई है। बीजेपी से राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने शून्यकाल के दौरान सदन में यह माँग करते हुए कहा कि जनसंख्या विस्फोट के कारण संसाधनों पर दबाव बढ़ा है जिसके कारण न सिर्फ बेरोजगारी बढ़ी है बल्कि हर स्थान पर भीड़ ही भीड़ दिखती है। उन्होंने आँकड़ा पेश करते हुए कहा कि वर्ष 1951 में देश की आबादी 10 करोड़ 38 लाख थी, जो वर्ष 2011 में बढ़कर 121 करोड़ के पार पहुँच गई और वर्ष 2025 तक इसके बढ़कर 150 करोड़ के पार पहुँचने का अनुमान है।
राज्यसभा में बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव ने जनसंख्या कानून का मुद्दा उठाया
— ABP News (@ABPNews) March 13, 2020
रिपोर्ट- @vikasbhaABP https://t.co/amff4g84zX
सांसद ने आगे चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जनसंख्या कई गुना बढ़ती है, जबकि संसाधनों में बहुत कम बढोत्तरी हो पाती है। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसा जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाना चाहिए जो ‘हम दो हमारे दो’ पर आधारित हो और इसका पालन नहीं करने वालों को हर तरह की सुविधाओं से न सिर्फ वंचित किया जाना चाहिए बल्कि उन्हें किसी भी प्रकार के चुनाव लड़ने से भी रोका जाना चाहिए। यादव ने आगे कहा कि वर्तमान में ही सभी को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना संभव नहीं हो रहा है, जबकि आने वाले समय में आबादी 150 करोड़ के पार पहुँच जाएगी तब पीने का पानी मिलना कैसे संभव हो पाएगा? इसके साथ ही अधिक आबादी के कारण बेरोजगारी भी अधिक है और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए संसाधन भी उपलब्ध नहीं होंगें।
इससे पहले बीजेपी से राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने जुलाई 2019 में जनसंख्या विनियमन विधेयक को एक निजी विधेयक के रूप में पेश किया था। वहीं वर्ष 2018 सितंबर माह में कॉन्ग्रेस के राजनेता जितिन प्रसाद ने भी जनसंख्या वृद्धि की जाँच के लिए एक कानून बनाने की माँग की थी। वहीं पिछले साल मई में दिल्ली बीजेपी के एक नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें जनसंख्या नियंत्रण के लिए कड़े कानून की माँग की गई थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले को खारिज कर दिया था। अब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय के पास है। वहीं वर्ष 2018 में ही लगभग 125 सांसदों ने राष्ट्रपति से पत्र लिखकर भारत में दो बच्चों की नीति लागू करने का आग्रह किया था।
वर्ष 2016 में भी बीजेपी सांसद प्रह्लाद सिंह पटेल ने भी जनसंख्या नियंत्रण पर एक निजी सदस्य बिल पेश किया था। 2015 में गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ ने एक ऑनलाइन पोल आयोजित कर पूछा था कि क्या मोदी सरकार को जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई नीति बनानी चाहिए। हालाँकि, वह उस समय गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद थे, जोकि वर्तमान में देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
वहीं बात करें कुछ राज्यों की तो देश के कई राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए या छोटे परिवारों को प्रोत्साहित करने के लिए पहले से ही दंडात्मक प्रावधान लागू कर रखे हैं। बात करें असम की तो असम सरकार ने दो साल से अधिक समय पहले पारित असम जनसंख्या और महिला सशक्तिकरण नीति को लागू करने का फैसला किया था, जिसके तहत, “जनवरी 2021 से असम में दो से अधिक बच्चे वाला कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं होगा।” कुल मिलाकर 12 राज्यों में ऐसे ही प्रावधान लागू हैं जो दो-बाल नीति की शर्तों को पूरा न कर पाने की स्थिति में योग्यता व अधिकार से जुड़े प्रतिबंध लगाते हैं। इन प्रतिबंधों में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव लड़ने से लोगों पर रोक लगाना भी शामिल है। कुछ इसी प्रकार उत्तराखंड में कानून बनाया गया, लेकिन इसे बाद में हटा दिया गया।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से अपने संबोधन में जनसंख्या नियंत्रण का जिक्र किया था साथ ही मोदी ने इसे देशभक्ति से भी जोड़ा था।