पश्चिम बंगाल कैडर के एक सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी, जिन्होंने इस सप्ताह के शुरू में आत्महत्या कर ली थी, उन्होंने सुसाइड नोट में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर उकसाए जाने का आरोप लगाया और आत्महत्या के लिए ममता बनर्जी को ज़िम्मेदार ठहराया।
1986 बैच के आईपीएस अधिकारी गौरव दत्त को 2010 में एक पुरुष कॉन्स्टेबल के यौन शोषण के आरोपों के बाद निलंबित कर दिया गया था। बता दें कि गौरव दत्त, 1939 बैच के पद्मश्री से सम्मानित आईपीएस अधिकारी गोपाल दत्त के बेटे थे। वो पिछले महीने ही सेवानिवृत हुए थे।
गौरव दत्त कथित तौर पर ख़ून से लथपथ अपने घर के पूल में मृत पाए गए थे। उनकी कलाई से ख़ून निकल रहा था, उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहाँ ख़ून के अधिक बहाव के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
आईपीएस अधिकारी गौरव ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि उनके सुसाइड करने के पीछे पश्चिम बंंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ज़िम्मेदार हैं।
इसके अलावा उन्होंने अपने नोट में लिखा कि जो भी बातें इस नोट लिखीं गईं हैं वो उन्होंने अपनी सही मानसिक स्थिति में लिखी।
दत्त के सुसाइड नोट की पुष्टि उनकी पत्नी श्रेयांशी दत्त ने भी की है कि यह बात सच है कि यह सुसाइड नोट उनके पति द्वारा ही लिखा गया है।
उन्होंने कहा, “मेरे पति की आत्महत्या की वजह वो सभी यातनाएँ और अपमान हैं जिसके लिए पश्चिम बंगाल की सरकार ज़िम्मेदार है।” इसके अलावा श्रेयांशी ने कहा कि उनके पति पिछले 10 वर्षों से परेशान थे।
दत्त की पत्नी ने कहा, “मैं अकेली हूँ और अब तबाह हो गई हूँ। सब कुछ ख़त्म हो गया है… सरकार ने मेरे पति की जान ले ली है।”
ममता बनर्जी ने 10 साल तक सिलसिलेवार उत्पीड़न किया
गौरव दत्त ने अपने सुसाइड नोट में इस बात का ज़िक्र किया कि सीएम ने मेरे 2 लंबित कार्यवाही [sic] मामलों को बंद करने से इनकार कर दिया था। एक केस की फाइल पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जानबूझकर गुम कर दी गई। दूसरे केस में किसी भी भ्रष्टाचार के आरोप की पुष्टि नहीं की जा सकी। “यहाँ तक कि महानिदेशक [DG] ने भी सीएम से अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने इन मामलों को बंद करने से साफ़ इनकार कर दिया।
सुसाइड नोट में साफ लिखा है कि पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उन्हें 10 साल से प्रताड़ित कर रही हैं। दत्त ने यह स्पष्ट किया कि ममता बनर्जी के इसी एकतरफा बदले की भावना से वो आहत हो गए थे, जिससे उनका उनका मनोबल टूट गया।
अपने सुसाइड नोट में दत्त ने इस बात को भी उजागर किया कि उनके रिटायरमेंट के बाद उन्हें मिलने वाली पेंशन भी राज्य सरकार द्वारा रोक दी गई थी। इसी बात से वो इतना आहत हुए कि सुसाइड जैसा क़दम उठाना पड़ा।
पश्चिम बंगाल सरकार ने क्रूरता और बदले की हद पार कर दी
दत्त ने यह भी आरोप लगाया कि बनर्जी की तृणमूल कॉन्ग्रेस पार्टी का इतना ख़ौफ़ था कि सत्तारूढ़ दल के बदला लेने के डर से राज्य में किसी ने भी उनसे इस पर कोई बात नहीं की।
उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के डर से अधिकारी इतने विवश है कि किसी को प्रतिनियुक्ति पर भी जाने की अनुमति नहीं है। यहाँ बंगाल में एक ख़ौफ़ की स्थिति है।”
“पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा बनाई गई यह दहशत का माहौल नरक से भी बदतर है जिसका कोई अंत नज़र नहीं आता।”
अपने सुसाइड नोट में दत्त ने आईपीएस अधिकारियों के बीच एकजुटता की कमी के बारे में भी बताते हुए लिखा, “आईपीएस बिरादरी ऐसी है कि अगर सरकार किसी को व्यक्तिगत रूप से तिरस्कृत या अपमानित करती है, तो बाक़ी के सभी अधिकारी सरकार के तलुए चाटते हुए दिखते हैं और सरकार द्वारा तिरस्कृत और अपमानित अधिकारी के साथ गली के कुत्तों जैसा व्यवहार करते हैं।”
‘सम्मान से जी नहीं सकता, तो सम्मान के साथ मरना बेहतर’
अपने सुसाइट नोट में, दत्त ने यह उम्मीद जताई है कि उनकी आत्महत्या “बंगाल और भारत के अन्य हिस्सों में ईमानदार अधिकारियों की वास्तविक समस्याओं को उजागर करेगी।”
उन्होंने लिखा कि उनके जैसे ईमानदार अधिकारी को दु:खी करने, प्रताड़ित करने, उन्हें बेघर करने और घुटन की हद तक अपमानित करने से पहले सरकार शायद अब दो बार सोचेगी।
“… अगर कोई सम्मान के साथ जी नहीं सकता, तो सम्मान के साथ मरना बेहतर है।”