Friday, October 18, 2024
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‘कोरोना काफिरों के लिए है, वुज़ू करने वालों को सिर्फ मौत आ सकती हैं, ये बीमारी नहीं’

"मैं मास्क और ग्लव्स इसलिए नहीं पहनता क्योंकि मैं अल्लाह की प्रार्थना करता हूँ, मुझे अल्लाह पर भरोसा है। कोई भी शख्स अगर इस बात पर अमल करेगा…हम सब लोगों का इस बात पर यकीन है कि जो शख्स वज़ू कर के घर से आएगा, उसे कभी कोई बिमारी नहीं होगी सिवाए मौत के।"

एक ओर जहाँ तबलीगी जमात का मरकज देश-विदेश में कोरोना वायरस (COVID-19) का सबसे बड़ा स्रोत बनकर उभरा है वहीं यह भी हकीकत है कि समुदाय विशेष ही अभी तक भी इस बात की गंभीरता को मजहबी विश्वासों के सामने छोटा मानकर चल रहा है।

ऐसा ही एक वीडियो सामने आया है जिसमें पाकिस्तान में मौजूद कुछ लोग कहते सुने जा सकते हैं कि कोरोना सिर्फ काफ़िरों को होता है और वुज़ू करने वालों को इससे डर नहीं लगता।

ट्विटर पर “साउथ चाइना मोर्निंग पोस्ट” (SCMP) ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है- “पाकिस्तान के कुछ लोग सरकार द्वारा मजहबी जमावड़ों को प्रतिबंधित करने को बेकार मानते हुए कह रहे हैं कि COVID-19 वायरस सिर्फ काफिरों को ही संक्रमित कर सकता है।”

इस वीडियो में वकास अहमद कहते हैं- “ये जो बिमारी है, ये इंशा अल्लाह हम सब.. जो भी हैं उनको बिलकुल भी नहीं आएगी, हमारा भरोसा अल्लाह पर है। जो काफिर हैं, वही डरते हैं इससे, उनको इस चीज का ज्यादा खौफ है।”

वीडियो में कुछ तथ्य दिए गए हैं, उनमें बताया गया है कि पाकिस्तान में हजारों लोग मजहबी सामूहिक जमावड़ों के लिए प्रतिबंधों का उलंघन कर रहे हैं। जबकि पकिस्तान की सरकार ने पाँच से ज्यादा लोगों के एक जगह पर रहने पर प्रतिबन्ध लगाया हुआ है। बावजूद इसके, लोग रोजाना मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए जा रहे हैं।

वीडियो में वकास अहमद आगे कहते हैं- “मैं मास्क और ग्लव्स इसलिए नहीं पहनता क्योंकि मैं अल्लाह की प्रार्थना करता हूँ, मुझे अल्लाह पर भरोसा है। कोई भी शख्स अगर इस बात पर अमल करेगा…हम सब लोगों का इस बात पर यकीन है कि जो शख्स वज़ू कर के घर से आएगा, उसे कभी कोई बिमारी नहीं होगी सिवाए मौत के।”

विडियो में एक अन्य तथ्य में बताया गया है कि पाकिस्तान में 15 अप्रैल तक COVID-19 के संक्रमण से अब तक 5,988 केस सामने आ गए हैं जिनमें से अब तक 107 लोगों की मौत हो चुकी है।

पाकिस्तान में भी 60% से भी ज्यादा कोरोना वायरस का संक्रमण महज मजहबी जमावड़ों में शामिल होने से फैला है। साथ ही मध्य-एशिया के मजहबी कार्यक्रमों से लौटे लोग भी इसके संक्रमण का बड़ा स्रोत हैं। फिर भी सभी तथ्यों को दरकिनार कर जुम्मे की नमाज में बड़ी संख्या में लोग मस्जिद में इकट्ठे होते हैं।

वीडियो में दिखाया गया है कि मजहब के सामने पाकिस्तान के पुलिसकर्मी और सुरक्षा में तैनात लोग कितने बेबस हैं। उनका कहना है क्योंकि यह मजहबी मामला है इस कारण इसके संवेदनशील होने की वजह से लोगों से ज्यादा सख्ती नहीं कर सकते।

पकिस्तान ही नहीं बल्कि भारत में भी मजहबी जुटान प्रशासन के सामने बड़ा सरदर्द बने हुए हैं। लॉकडाउन के दौरान भी निरंतर यह संदेश देना पड़ रहा है कि सोशल डिस्टेंस के द्वारा ही कोरोना के संक्रमण पर अंकुश लगाया जा सकता है।

लेकिन फिर एक विशेष स्रोत का एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जो अभी भी मानता है कि कोरोना का कहर सिर्फ काफिरों पर ही बरस सकता है और नमाज पढ़ने वाले इससे सुरक्षित हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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