शिवसेना नेता अक्षय विजय पनवेलकर ने 15 अप्रैल को बांद्रा पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर को पत्र लिखकर राजनीतिक टिप्पणीकारों शेफाली वैद्य और सुनैना होले के खिलाफ कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने इस कार्रवाई की माँग इसलिए की है, क्योंकि शेफाली वैद्य और सुनैना होले ने कोरोना वायरस के मामले में तेजी से होने वाले वृद्धि में तबलीगी जमात की भूमिका को जिम्मेदार ठहराने के साथ ही बांद्रा में बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ इकट्ठा होने से रोकने में उद्धव ठाकरे की विफलता पर सवाल खड़े किए थे।
अक्षय विजय पनवेलकर ने पत्र में दावा किया कि दोनों राजनीतिक समीक्षक ‘दूसरे समुदायों के खिलाफ घृणा संदेश’ फैला रही थी। शिवसेना नेता ने इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153A, 295 और 295A के तहत कार्रवाई करने की गुजारिश की।
उल्लेखनीय है कि 14 अप्रैल को देशव्यापी लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ने की घोषणा के बाद मुंबई के बांद्रा स्टेशन के पास अहले सुन्नत सुन्नी रज़ा जामा मस्जिद के सामने प्रवासी मजदूर घर जाने की माँग करते हुए बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए थे।
बता दें कि जमातियो ने पहले ही सरकारी आदेशों की धज्जियाँ उड़ाते हुए 13 मार्च से 15 मार्च के बीच निजामुद्दीन मरकज में एक मजहबी सभा में भाग लिया था, जिसके परिणामस्वरूप भारत में वुहान कोरोना वायरस मामलों की संख्या अचानक से बढ़ गई।
लेखिका शेफाली वैद्य ने बांद्रा के अभूतपूर्व परिदृश्य की तुलना तबलीगी जमात के मजहबी आयोजन से की थी। उन्होंने प्रवासी श्रमिकों की बड़ी भीड़ को रोकने में विफल रहने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जिम्मेदार ठहराया था।
इसके साथ ही इस पर अपनी राय रखने के लिए स्वयंसेवक सुनैना होले को भी निशाना बनाया गया। उन्होंने उद्धव ठाकरे सरकार की आलोचना करते हुए पूछा था कि क्या अब मुख्यमंत्री सोशल डिस्टेंसिंग के दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए प्रधानमंत्री को दोषी ठहराएँगे? उन्होंने ट्वीट में लिखा था कि भीड़ में लोग चिल्ला रहे थे, “ये अल्लाह की तरफ से नहीं है, ये मोदी की तरफ से है।”
ये दोनों ही ट्वीट्स कोरोना वायरस के संभावित प्रसार को लेकर केवल चिंता को दर्शाता है। जिस तरह से तबलीगी जमात के एक मजहबी कार्यक्रम की वजह से देश में कोरोना वायरस के मामलों में धड़ल्ले से वृद्धि हुई। इसके साथ ही उद्धव ठाकरे सरकार की विफलता को उजागर किया गया, जो इस भीड़ को रोकने में असफल रहे। मगर ऐसा लगता है कि शिवसेना के नेता अपनी पार्टी के नेता की आलोचना को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले महाराष्ट्र में एक डॉक्टर के खिलाफ सोशल मीडिया पर कथित रूप से एक आपत्तिजनक मैसेज पोस्ट करने के लिए एक डॉक्टर के खिलाफ गैर-संज्ञेय (non-cognizable) अपराध दर्ज किया था। डॉक्टर ने कथित तौर पर तबलीगी जमात के मुखिया मोहम्मद साद को एक आतंकवादी करार दिया था।
दरअसल, शिवसेना सीएम या उनके परिवार की आलोचना करने वालों को डराने-धमकाने के लिए कई तरीके आजमा रही है। इससे पहले, शिवसेना के गुंडों ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बोलने के लिए मुंबई के एक व्यक्ति की पिटाई की थी और उसका सिर मुंडवा दिया था।