भारत और पाकिस्तान के बीच अभी जो माहौल है, उस पर शायद हर भारतीय और पाकिस्तानी नागरिक के पास ठीक-ठाक सूचना है। पुलवामा में आतंकी हमला हुआ, जैश ने ज़िम्मेदारी ली, भारत ने पाकिस्तान स्थित जैश के ठिकाने को एयर स्ट्राइक से तबाह कर 300-350 आतंकी मार गिराए, पाकिस्तान ने भारतीय आकाश में घुसने की कोशिश करते हुए सैन्य ठिकानों का निशाना बनाया, भारतीय लड़ाकू विमान ने उनका पीछा किया और एक F16 जेट को मार गिराया, इसमें भारतीय मिग भी क्षतिग्रस्त हुआ और हमारे एक पायलट को इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। वो पायलट अभी पाकिस्तान के क़ब्ज़े में है, जैसा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमारती खान ने बताया।
परसों इमरान खान जिस लाल गमछे के साथ मीटिंग में दिखे और कुछ बोला नहीं, उससे लग रहा था कि उनकी नींद गलत समय पर टूट गई। लेकिन ख़ुमारी से बाहर आने तक कल का वाक़या हो चुका था, जिसमें एक-एक विमान गँवाने के बाद, भारत का एक पायलट लापता बताया गया, जो कि पाकिस्तान द्वारा जारी संदेश में उनके क़ब्ज़े में कहा गया।
ज़ाहिर है कि इमरान के लिए ये मौका एक बेहतर स्थिति में होने जैसे था, अब इमरान बारगेनिंग पोजिशन में थे। साथ ही, जैसा कि पाकिस्तान की पुरानी आदत रही है, जब उसे डर सताता है, तब वो शांति की बात करने लगता है, तो इमरान ने अपने तालिबानी चेहरे पर बहुत ही शांत और सभ्य मेकअप पोता, और शांति की बात करने लगे। अचानक से एक आतंकी देश का कप्तान दार्शनिक हो गया जो युद्ध की विभीषिका पर ज्ञान देने लगा।
नई खबरें आईं कि अमेरिका के साथ, ब्रिटेन और फ़्रान्स ने पाकिस्तान से आतंक फैलाकर अशांति और हिंसा उत्पन्न करनेवाले जैश के आतंकी सरगना मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा ब्लैकलिस्ट कराने की बात की है। भारत ने कई बार इस संदर्भ में बात की है, लेकिन हर बार चीन ने उस पर असहमति जताते हुए, उसे रोक दिया है।
मेरी इमरान खान से यही अपील है कि अगर आप इस मुद्दे को लेकर, इस युद्ध के बाद की विभीषिका के दर्शन शास्त्र को लेकर गम्भीर हैं, तो फिर आप इस पर कुछ ऐसा कीजिए जिससे लगे कि आप पुरानी सरकारों की तरह अपनी आर्मी के इशारे पर नाच नहीं रहे। आप कुछ तो ऐसा कीजिए कि लगे पाकिस्तान सही में नया पाकिस्तान बनना चाहता है। अगर आपसे नहीं हो रहा, तो कम से कम सच तो बोलिए कि आपको डर लग रहा है कि अगर भारत ने अपने यहाँ के हजार-दो हजार लोगों की मौत की परवाह न करते हुए, आपको घेरकर मारना शुरू किया तो आप 1947 में पहुँच जाएँगे।
राजनीति के भी हिसाब से देखा जाए तो जिस आतंकी का आपने, आपके देश ने इतने समय तक लाभ उठाया, उसके कारण अगर आपके देश के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न लग रहा है तो उसे टिशू पेपर की तरह इस्तेमाल करके फेंकने में क्या बुराई है? अगर आप जंग नहीं चाहते, अगर आपको लगता है कि युद्ध में कोई नहीं जीतता, तो फिर या तो मसूद अज़हर की लोकेशन हमें दे दीजिए कि भारतीय वायु सेना रात में आए और उठाकर ले जाए, या आप ही बॉर्डर के पास उसे लेकर आइए, और भारतीय सेना के सुपुर्द कर दीजिए।
लोकेशन बताकर भारतीय वायुसेना से उठवाने में आपकी असेम्बली में थोड़ी फ़ज़ीहत ज़रूर होगी जैसे कि ओसामा के समय हुई थी, लेकिन पाकिस्तान को तो इसकी आदत है, तो बर्दाश्त कर लीजिए क्योंकि आपको शांति चाहिए। हमें भी शांति चाहिए। या फिर, उसे बॉर्डर के आस-पास छोड़ दीजिए कि किसी को पता न चले कि कहाँ से पकड़ा गया।
हो सकता है कि मेरी ये अपील मूर्खतापूर्ण लगे, लेकिन ऐसे आतंकी को भारत को सौंप देने में दोनों देशों की भलाई है। मसूद अज़हर कोई लंगर तो चलाता नहीं पाकिस्तान में, और पाकिस्तान स्वयं कहता है कि उसे सौ बिलियन डॉलर और 70,000 पाकिस्तानियों का नुकसान झेलना पड़ा है आतंक के कारण। फिर जैश जैसा संगठन वहाँ है ही क्यों?
क्या इमरान नहीं जानते कि जैश-ए-मोहम्मद के बाक़ायदा बोर्ड लगे हुए हैं पाकिस्तान में? फिर ये दोगलों जैसी बातें क्यों करता है इमरान? स्वीकार लो कि तुम एक नकारा प्रधानमंत्री हो, जिसके हाथ में न तो सत्ता है, न आर्मी है और न ही वो तमाम आतंकी जो तुम्हारी बात सुनते हों।
अगर, सीरियस हो, तो गम्भीरता से सोचो। अगर पाकिस्तान का भला चाहते हो, क्योंकि युद्ध हुआ तो भारत तो खड़ा हो जाएगा, पाकिस्तान जो पहले से ही गिरा हुआ है, भीख से चल रहा है, वो भीख माँगने लायक भी नहीं रहेगा, तो ऐसे डिस्पोजेबल आतंकियों को बाहर का रास्ता दिखाओ।
कूटनीति यही कहती है कि अगर छोटे से नुकसान झेलने से बहुत बड़ा ख़तरा टल जाए, तो वो नुकसान सहर्ष झेलना चाहिए। पाकिस्तानियों में ‘अल्लाह रहम करे’, ‘अल्लाह ख़ैर करे’ जैसी बातें आम हो गई हैं क्योंकि भारत की तरफ से रूटीन एक्सरसाइज़ भी होती है तो कराची, रावलपिंडी, स्यालकोट, लाहौर में हाय अलर्ट घोषित हो जाता है।
कल रात ट्विटर पर जिस तरह से पाकिस्तानियों के ‘रहम करे’ वाले ट्वीट बरस रहे थे, उससे यही ज़ाहिर होता है कि आम पाकिस्तानी को भी पता है कि भारत इस बार रुकने वाला नहीं। चाहे अपनी किताबों में जितनी बार तुम ये पढ़ा दो कि तुमने भारत से चार लड़ाइयाँ जीती हैं, सत्य आज भी यही है कि तुम्हारे सबसे बड़े और तथाकथित मॉडर्न शहरों में चौबीस घंटे बिजली नहीं होती और वहाँ के लोग पानी की कमी से जूझते हैं। वहीं भारत, अपने गाँवों में भी चौबीस घंटे बिजली लाने की तरफ अग्रसर है।
ये कोई भावनात्मक पोस्ट नहीं है कि मैं भारतीय हूँ तो पाकिस्तानियों को नीचा दिखाना चाहता हूँ। पाकिस्तानी की आर्थिक स्थिति क्या है इसकी जानकारी सबको है, और वहाँ के प्रधानमंत्री को ऑस्टेरिटी के लिए अपनी कारों के क़ाफ़िले से लेकर भैंस और गधे तक बेचने पड़ रहे हैं। अगर स्थिति अच्छी होती तो चीन का युआन पाकिस्तान में करेंसी के तौर पर स्वीकार नहीं किया जाता।
सत्य यही है कि पाकिस्तान यह भलीभाँति जानता है कि यह युद्ध अगर हुआ तो निर्णायक होगा। यह युद्ध अगर हुआ तो वो पाकिस्तान के अंत पर ही जाकर रुकेगा। क्योंकि भारत के पास अब आर्थिक क्षमता भी है, और वैश्विक सहमति भी कि ऐसे मौक़ों पर हमें अपने धरती पर हुए हमलों का बदला लेने की आज़ादी है।
इसलिए, इमरान खान के लिए सबसे अच्छा रास्ता यही है कि पहले तो भारतीय पायलट को जेनेवा संधि के मुताबिक़ भारत को लौटाया जाए, उसे किसी ‘डील’ के चक्कर में न रोके। और दूसरा काम यह हो कि संयुक्त राष्ट्र संघ में जब मसूद अज़हर को ब्लैकलिस्ट करने की बात हो, तो उस पर चीन को आपत्ति जताने से रोकने के बाद, उसे भारत के पास किसी भी तरीके से भेज दिया जाए।
अगर ऐसा नहीं होता है, तो ये तनाव युद्ध में बदलेगा। जब युद्ध होगा तो भले ही भारत को कुछ क्षति पहुँचे, लेकिन पाकिस्तान को अपनी अभी की ही लड़खड़ाती स्थिति में भी आने के लिए शायद दशकों लग जाएँगे।